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मंथरा की कूटनीति कामयाब, प्रभु श्रीराम को वनवास

आयोध्या में मथंरा की कूटनीति कामयाब हो गयी। महारानी कैकेयी उसकी साजिश में उलझ गयी और श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारियों पर पानी फिर गया। महाराज दशरथ से कैकेयी ने भरत के लिए राज सिंहासन और राम के लिए 14 सालों का वनवास मांग लिया। क्षेत्र के हरीपुर अभिया में श्री आदर्श रामलीला समिति की तरफ से चल रही सात दिवसीय रामलीला के तीसरे दिन राम वनगमन और केवट संवाद का मंचन किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 08:49 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 08:49 PM (IST)
मंथरा की कूटनीति कामयाब, प्रभु श्रीराम को वनवास
मंथरा की कूटनीति कामयाब, प्रभु श्रीराम को वनवास

जासं, सुरियावां (भदोही) : आयोध्या में मथंरा की कूटनीति कामयाब हो गयी। महारानी कैकेयी उसकी साजिश में उलझ गयी और श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारियों पर पानी फिर गया। महाराज दशरथ से कैकेयी ने भरत के लिए राज सिंहासन और राम के लिए 14 सालों का वनवास मांग लिया। क्षेत्र के हरीपुर अभिया में श्री आदर्श रामलीला समिति की तरफ से चल रही सात दिवसीय रामलीला के तीसरे दिन राम वनगमन और केवट संवाद का मंचन किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही।

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कुल गुरु वशिष्ठ के आदेश और मंत्री सुमंत के साथ अयोध्या की प्रजा की सलाह पर राजा दशरथ ने श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने का फैसला किया। लेकिन जब यह बात मंथरा यानी कूबरी को पता चली तो उसने अपनी साजिश का जाल बुन डाला। कैकेई  मंथरा की साजिश में आकर कोपभवन में चली गयीं। कारण पूंछने पर कैकेई ने श्रीराम को चौदह वषों का वनवास और भरत को राजगद्दी अयोध्या नरेश से अपने वरदान की मांग किया। यह बात सुनते ही वह मुरछित हो गए। इस बात का पता जब श्रीराम को चला तो वह खुद वन जाने के लिए तैयार हो गए। श्रीराम, सीता और लक्ष्मण जब मंदाकीनी यानी गंगा तट पर पहुंचे तो केवट से पार उतारने का आग्रह किया। श्रीराम-केवट का संवाद के बाद केवट ने बगैर उतराई लिए प्रभु को माता सीता व भाई लक्ष्मण को पार उतार दिया।

चौरी प्रतिनिधि के अनुसार लठिया गांव में श्रीशिव रामलीला समिति की ओर से चल रहे रामलीला के पांचवे दिन सुग्रीव मित्रता बाली वध व लंका दहन दिखाया गया। प्रभु श्रीराम जनक नंदिनी की खोज करते हुये रिश्यममुक पर्वत के पास पहुंच गए। माता सीता की खोज में हनुमान जी लंका पहुँचते हैं। अशोक वाटिका में सीता से हनुमान मिलते हैं। सीता से आज्ञा लेकर उपवन में उजार वाटिका मचाकर लंका नरेश का सिंहासन हिला दिया। अक्षय कुमार का वध करने पर मेघनाथ हनुमान को बंदी बनाकर रावण के सामने हनुमान को पेश किया। जहां पर हनुमान के पूंछ में आग लगा दी। जिससे हनुमान जी उग्र रुप धारण कर जलाकर विध्वंस कर दिया। माता सीता से आशीर्वाद लेकर हनुमान रामादल में वापस आ गए। भाई विभिषण के समझाने के बाद रावण ने अपमानित कर भगा दिया। इस दौरान सुरेश दुबे, सोनू दुबे, मनोज दुबे, मुन्ना मिश्रा, डब्लू चौबे व दयाशंकर साहू समेत अन्य थे।


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