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केंद्र की योजनाओं पर छुटभैयों की कु²ष्टि

पूर्वोत्तर रेलवे के मंडुआडीह-प्रयागराज रेलखंड पर चल रहा दोहरीकरण कार्य इन दिनों छुटभैय्यों की दस्तक के आगे सवालों में घिरता जा रहा है। ऊंची पहुंच की हनक जिम्मेदार अधिकारियों में इस कदर आंखें बंद रखने पर विवश कर दिया है कि उनके द्वारा होने वाले निरीक्षण के बाद भी छुटभैय्यों की कार्यप्रणाली में

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 09:07 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 09:07 PM (IST)
केंद्र की योजनाओं पर छुटभैयों की कु²ष्टि
केंद्र की योजनाओं पर छुटभैयों की कु²ष्टि

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : पूर्वोत्तर रेलवे के मंडुआडीह-प्रयागराज रेलखंड पर चल रहा दोहरीकरण कार्य इन दिनों छुटभैय्यों की दस्तक के आगे सवालों में घिरता जा रहा है। ऊंची पहुंच की हनक ने जिम्मेदार अधिकारियों में इस कदर आंखें बंद रखने पर विवश कर दिया है कि उनके द्वारा होने वाले निरीक्षण के बाद भी छुटभैय्यों की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं दिखता। मनमानी और लापरवाही को देख चर्चाओं का बाजार इस तरह गरम होता जा रहा है कि पूर्व की प्रदेश सरकार में नाम कमाने वाले अब ऐसे लोग केंद्र सरकार की योजनाओं में सेंधमारी कर दशकों की सोच रखने वाले रेलवे पर कुठाराघात की फिराक में लग चुके हैं।

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गौरतलब हो कि खंड को और चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए जहां रेल मंत्रालय की ओर से लगभग हजारों करोड़ की सौगात देकर दोहरीकरण, स्टेशनों के विस्तारीकरण, ओवरफुट ब्रिज, स्टेशन कंट्रोल कक्षों का नये सिरे से निर्माण टेंडर के जरिए शुरु हो चुका है। निर्माण कार्यों तथा दोहरीकरण में प्रयुक्त होने वाले सामानों की गुणवत्ता पर तो प्रोजक्ट अधिकारी ही ध्यान दे रहे हैं और न ही मंडल के आलाधिकारी। ज्ञानपुर रोड, अहिमनपुर, जंगीगंज आदि स्टेशनों पर नजर दौड़ाई जाए खामियों की जड़ें कहां तक होंगी इसका कोई किनारा नहीं है। दोहरीकरण में जो मानक मिट्टी का रेलवे निर्धारण किया है ठीक उसके विपरीत कार्य कर रसूखदार छुटभैय्ये कम समय में अधिक मुनाफा वाली कहावत चरितार्थ जारी है। हद तो तब हो जा रही है जब जंगीगंज स्टेशन के पश्चिमी छोर के रामकिशुनपुर बसहीं गांव स्थित गेट संख्या 26सी-ईटू इसका उदाहरण भी पेश करता फिर रहा है। जहां मुनाफाखोरी के चक्कर में ठोस मिट्टी की जगह उसरयुक्त मिट्टी डलवा दी गई। जब मामला अधिकारियों तक पहुंचा तो वह सीधे अपने कार्य क्षेत्र से बाहर होने का कार्य बताकर बचने का हरसंभव प्रयास किया गया। हालांकि उक्त क्षेत्र से गुजरने वाले हर एक की नजर उसरयुक्त मिट्टी पर पड़ती है तो वह एकबारगी यह सोचने पर विवश हो रहे हैं कि क्या यही सोच रेलवे रखती है। सभी कार्य टेंडर पर निर्भर होने से आतंरिक लापरवाहियां बड़ी दुर्घटनाओं की सबब भी साबित हो सकती हैं। क्या ऐसे लोगों तथा घटिया कार्यों पर अंकुश लग पाएगा अथवा नहीं। यह तो वक्त की मांग पर निर्भर है।

-लैट टेस्ट परखेगी गुणवत्ता

खंड पर दोहरीकरण मेंटनेस का कार्यभार देख रहे निरीक्षक पीके प्रधान ने बताया कि मामला गंभीर है। डलवाई जा रही मिट्टी को जब तक लैब टेस्ट प्रमाणित नहीं करेगा तब तक न तो भुगतान हो सकेगा और न ही उस पर ट्रैक ही बिछाया जाएगा। मामला अति गंभीर है आलाधिकारियों को अवगत कराकर जांच भी करवाई जाएगी। कहा कि सबकुछ मंडल स्तर से होने के चलते इसका प्रमुख ढंग से जिम्मेदार भी प्रोजक्ट अधिकारी की होती है। समय-समय पर इनके द्वारा निरीक्षण कराना आवश्यक है। मानकों की अनदेखी करने वाले किसी भी कीमत पर बख्शे भी नहीं जाएंगे।


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