भगवान भानु को अर्घ्य के साथ छठ पर्व पूर्ण
आकाश में पूर्व दिशा से सूर्यदेव की लालिमा के छिटकते ही जनपद के विभिन्न कुंडों- सरोवरों व गंगा तटों पर असंख्य व्रतियों ने अपार आस्था के साथ ज्योहि अर्घ्य अर्पित करना शुरू किया पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): आकाश में पूर्व दिशा से सूर्यदेव की लालिमा के छिटकते ही जनपद के विभिन्न कुंडों- सरोवरों व गंगा तटों पर असंख्य व्रतियों ने अपार आस्था के साथ ज्योहि अर्घ्य अर्पित करना शुरू किया, पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। धूप-अगरबत्ती की सुगंध और हवा के झोंके भक्ति की शक्ति से भरते छठ गीतों के सुमधुर स्वरों और विद्युत रोशनाई से सरोवरों और गंगा घाटों की छटा ही निराली लग रही थी। मानो गंगा घाटों, सरोवरों आदि पर आस्था का जैसे सप्तसागर ही उमड़ पड़ा हो। भक्त और भगवान रवि के अनन्य भक्तिभाव का यह दृश्य चार दिवसीय छठ महापर्व के समापन का था।
ज्ञानसरोवर सहित गोपीगंज के रामपुर घाट, सीतामढ़ी, सेमराध आदि स्थानों पर आधी रात के बाद से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरु हो गया था। अधिसंख्य भक्त मनोकामना पूर्ण होने का संकेत देते ढोल-तासे के संगीत पर नृत्य करते हुए घाटों की ओर जा रहे थे। घाटों पर पहुंचे भक्तों ने अपने-अपने स्थानों पर बेदी बनाकर पहले विधि-विधान से पूजन किया। इसके पश्चात डलिया में रखे फल-पुष्प को लेकर गंगा जल में उतरे और भगवान दिनकर के उदित होने की प्रतिक्षा करने लगे। जैसे ही भगवान दिवाकर की लालिमा आकाश में दिखाई कि डलिया से भरे अलग-अलग फल- फूल और व्यंजन अर्पित कर श्रद्धालु शरणागत हो गए।
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- आस्था से भरा रामपुर गंगा घाट
रामपुर घाट पर अपार आस्था से भरा यह अलौकिक दृश्य देखते ही बन रहा था। भगवान भास्कर के दर्शन के लिए उमड़ी आस्था मानों कुछ देर के लिए परीक्षा में तब्दील हो गई। भगवान भास्कर का दर्शन होते ही व्रतियों ने अर्घ्य दिया। इस दौरान धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित किया गया। इसके साथ ही चार दिवसीय व्रत का महिलाओं ने पारण किया। सुरक्षा के मद्देनजर गंगा तटों पर पुलिस तैनात रही।