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बकरों के बाजार पर महामरी की मार

कुर्बानी के पर्व बकरीद आने में महज एक सप्ताह का समय शेष रह गया है। इसके बाद भी बकरों का बाजार चढ़ता नहीं दिख रहा है। कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन के दौरान प्रभावित हुए व्यवसाय व छिने रोजगार का असर बकरों की खरीदारी पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। आलम यह है कि जहां जगह-जगह

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 06:17 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:17 PM (IST)
बकरों के बाजार पर महामरी की मार
बकरों के बाजार पर महामरी की मार

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : कुर्बानी के पर्व बकरीद आने में महज एक सप्ताह का समय शेष रह गया है। इसके बाद भी बकरों का बाजार चढ़ता नहीं दिख रहा है। कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन के दौरान प्रभावित हुए व्यवसाय व छिने रोजगार का असर बकरों की खरीदारी पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। आलम यह है कि जहां जगह-जगह सजने वाली बकरा मंडियों में भीड़ लगी रहती थी वहीं अबकी बार न तो कहीं मंडी सजी जहां चार-छह बकरे लेकर लोग रुक रहे हैं वहां से खरीदार गायब दिख रहे हैं।

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बकरीद के मौके पर कुर्बानी को लेकर लोग करीब माह भर पहले से ही बकरों की तलाश में लग जाते थे। एक से बढ़कर एक बकरों की खरीदारी को लेकर लोग रूचि दिखाया करते थे। जबकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते लोगों के तमाम काम-धंधे ठप पड़ जाने से आई आर्थिक तंगी के चलते लोग बेजार दिख रहे हैं। इसके चलते अधिकांश लोग लोग रस्म अदायगी के लिए महंगे के बजाय कम दाम के बकरों की तलाश में हैं। यहां तक कि कई दिनों पहले राजस्थान आदि स्थानों से बकरे लेकर आने वाले व्यापारियों की भी आमद नहीं हो सकी है। बकरे का कारोबार करने वाले अख्तर ने बताया कि इस बार लोग कम दाम के बकरे तलाश रहे हैं। बड़े बकरों की कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं लग रही है। लॉकडाउन से बिगड़ी आर्थिक स्थिति का असर दिख रहा है।


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