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बौर की करें रखवाली वरना खाली रहेगी आम की डाली

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By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 10:57 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 06:08 AM (IST)
बौर की करें रखवाली वरना खाली रहेगी आम की डाली
बौर की करें रखवाली वरना खाली रहेगी आम की डाली

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : फलों का राजा कहे जाने वाले आम के पेड़ों में बौर दिखने लगे है। बौर देख लोग खुशी भी जाहिर करने लगे हैं, लेकिन बागवानों सहित आमजन को बौर की देखभाल में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होगी जिससे बौर सुरक्षित रहे तो उत्पादन बेहतर मिले। कारण है कि मौजूदा समय में बदराये मौसम सहित तापमान में आए कमी व रह-रहकर देखने को मिल रहा कोहरे का असर से रोग व कीटों का खतरा बढ़ जाता है। विशेषकर इस मौसम में पाउड्री मिल्ड्यू व माहो रोग से बौर प्रभावित होंगे। उधर आम में लगने वाले मिनी बग व मैंगो हापर से भी संकट आएगा। यदि रोग लगा तो फिर उत्पादन प्रभावित होने से बचाना मुश्किल होगा।

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कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक डा. मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि वातावरण में आ‌र्द्रता अधिक रहने व कम तापमान पर बौर में पाउड्री मिल्ड्यू (सफेद रंग का फफूद) लगता है। इसके प्रभाव से बौर में लगने वाले दाने गिर जाते हैं और काले पड़ने लगते हैं। इससे बचाव के लिए सल्फेक्स दवा चार ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इसी तरह सरसों की फसल में चल रहे माहो का अटैक आम के बौर पर भी होता है। माहो से बचाव के लिए रोगार दवा डेढ़ मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना लाभकारी होगा।

इसी तरह कीटों की बात की जाय तो मिनी बग कीट जमीन से पेड़ों पर चढ़ने वाला कीड़ा है। जो बौर के रसों को चूस लेते हैं। इससे बौर व उसमें लगने वाले दाने (फलियां) प्रभावित होकर झड़ने लगती हैं। इस कीट से बचाने के लिए पेड़ के तने में नीचे से एक मीटर ऊंचाई तक प्लास्टिक को अच्छी तरह से बांध देना चाहिए। साथ ही दोनों ओर सफेद ग्रीस का लेप करना चाहिए, इससे वह तने पर चढ़ नहीं पाएंगे, जबकि मैंगो हॉपर (आम का फुदका) कीट तने में चिपका रहने वाला कीड़ा है। यह भी बौर से रस चूसता है। इससे बौर कमजोर पड़ जाते हैं। हल्की हवा पर भी वह झड़ने लगते हैं। टिकोरे गिरने लगते हैं। इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोपिड दवा आधा मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल तैयार कर छिड़काव करना लाभकारी होगा।


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