कामधेनु से कम नहीं है यह गाय, बगैर बच्चा दिए ही एक वर्ष से दे रही है दूध
वैज्ञानिक युग में ट्रीटमेंट के जरिए इसे संभव तो माना जा रहा है लेकिन, जब बात आती है बगैर किसी उपचार के दूध देने की तो पशु चिकित्सक भी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं दिखते।
भदोही [स्वाधीन तिवारी]। डीघ ब्लाक क्षेत्र के कौलापुर गांव निवासी हौसिला प्रसाद दुबे उर्फ खदेरू गुरु की गाय कुदरत का करिश्मा ही है। बगैर बच्चा दिए ही एक वर्ष से अनवरत दूध दे रही गाय पूरे परिवार के लिए कामधेनु बनी हुई है। आज के इस वैज्ञानिक युग में ट्रीटमेंट के जरिए इसे संभव तो माना जा रहा है लेकिन, जब बात आती है बगैर किसी उपचार के दूध देने की तो पशु चिकित्सक भी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं दिखते।
दरअसल, हौसिला प्रसाद दुबे ने एक गाय पाल रखी थी। करीब पांच वर्ष पूर्व जब उसने एक बछिया को जन्म दिया तो पूरा परिवार खुश हो उठा कि चलो एक और गाय तैयार हो जाएगी। परिवार के सभी सदस्य उसकी सेवा करने में जुट गए। धीरे-धीरे जब ढाई से तीन वर्ष का समय व्यतीत हुआ तो गर्भाधान के कई प्रयास के बाद भी वह गर्भधारण नहीं कर सकी। पूरे परिवार में निराशा घर कर गई कि उसके साथ तीन वर्ष तक की गई सारी मेहनत बेकार हो चुकी है।
लोग उसे हटाने-बढ़ाने की चर्चा शुरू कर चुके थे कि अचानक करीब वर्ष भर पहले उसके थन में बदलाव होने लगा। उत्सुकतावश जब उसके थन पर हाथ लगाया गया तो दूध निकल आया। फिर क्या था वह एक बार फिर से पूरे परिवार के लिए चहेती कामधेनु बन गई। दोनों समय दो-दो लीटर दूध पाकर परिवार आज खुशी से फूला नहीं समाता।
ट्रीटमेंट के जरिए ऐसा है संभव
पशु चिकित्सक डा. आरबी मौर्य ने बताया कि ट्रीटमेंट के जरिए ऐसा संभव है। जब कोई गाय गर्भधारण करने लायक हो जाती है और किसी कारणवश बांझ निकल जाती है तो उसका उपचार किया जाता है। वह बगैर बच्चा जने दूध देने लगती है। उनके द्वारा भी कई ऐसे केस हैंडिल किए गए हैं। मगर इस मामले में संभव है कि शरीर के अंदर प्राकृतिक रूप से हार्मोन इसके लिए उत्प्रेरक का कारण हो।