कैकेयी ने मांगा श्रीराम का वनवास, अयोध्या हतप्रभ
नगर के राजपुरा स्थित मैदान में चल रहे दूसरे चक्र के रामलीला में रविवार की रात अयोध्या के कलाकारों द्वारा राजा दशरथ कैकेयी संवाद, श्रीराम वनवास, निषाद राज मिलन, श्रीराम केवट संवाद, दशरथ कैकेई संवाद का प्रसंग सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस दौरान बड़ी तादाद में महिला व पुरुष श्रद्धालु देर रात तक डटे रहे।
जागरण संवाददाता, भदोही : नगर के रजपुरा स्थित मैदान में चल रहे दूसरे चक्र के रामलीला में रविवार की रात अयोध्या के कलाकारों द्वारा राजा दशरथ कैकेयी संवाद, श्रीराम वनवास, निषाद राज मिलन, श्रीराम केवट संवाद, दशरथ कैकेई संवाद का प्रसंग सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस दौरान बड़ी तादाद में महिला व पुरुष श्रद्धालु देर रात तक डटे रहे।
कैकेयी व दासी मंथरा के बीच संवाद के बाद कैकेयी द्वारा कोप भवन में बैठना तथा राजा दशरथ का कोप भवन में कैकेयी के साथ संवाद श्रद्धालु बड़े ही शांत हो कर देख रहे थे। मंथरा ने कैकेयी को बहकाने के लिए लाख जतन किया हालांकि की कैकेयी ने कहा की भरत को मैने जन्म भले दिया है लेकिन राम मुझे अधिक प्रिय हैं। तब दासी मंथरा ने कहा की राम के राजा बनते ही तुम्हें कौशल्या के हिसाब से रहना होगा। अन्यथा तुम्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह फेंक दिया जाएगा। इतना सुनते ही कैकेयी दासी की बातों में आ गई और उपाय पूछा। तब दासी ने कहा की दो वचन राजा दशरथ ने तुम्हें दिया था आज समय आ गया है कि तुम मांग लो। एक वचन में भरत को राज गद्दी तो दूसरे वचन में राम को 14 वर्ष का वनवास। कैकेयी दासी के बहकावे में आकर कोप भवन में बैठ गई। राजा दशरथ को पता चला तो वे ¨चतित हो उठे। कल राम का राज तिलक होगा और आज कैकेयी कोप भवन में यह अशुभ संकेत है। राजा दशरथ कोप भवन में जाते हैं तो कैकेयी ने उन्हें वचन याद दिलाते हुए भरत को राजा व राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। यह सुन राजा दशरथ व्यथित हो गए। काफी समझाने के बाद भी अडिग कैकेयी की जिद पर अंतत: प्रभु श्रीराम को वनवास दे दिया गया। यह खबर लगते ही अयोध्यावासी दुखी हो गए। वनवास जाने के प्रसंग के दौरान श्रद्धालु इतना लीन थे की उनके आंखों से अश्रुधारा बह निकली। कलाकारों द्वारा निषाद राज मिलन, व श्रीराम केवट संवाद भी कुछ इस तरह प्रस्तुत किया की श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।