सरसों में माहो और आलू में पाला का बढ़ा खतरा
मौसम में अचानक आए बदलाव संग रविवार की रात हुई बारिश के चलते ठंड व गलन के पूरे रौ में आने के साथ कोहरे का असर शुरू हो चुका है। बदली बयार को देख किसानों के चेहरे का रंग बदरंग होते दिखने लगा है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मौसम में आए बदलाव संग रविवार की रात हुई बारिश से ठंड व गलन बढ़ी है। कोहरे का भी असर दिखने लगा है। तिलहनी फसल सरसों सहित आलू फसल की सुरक्षा को लेकर किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। उनका मानना है कि यदि मौसम का यही रूप जारी रहा तो जहां फूल रही सरसों माहो की शिकार होगी तो आलू भी पाले की चपेट में आकर बर्बाद हो सकता है। हालांकि गेहूं के लिए बरसात लाभकारी है। जिन फसलों की ¨सचाई नहीं हो सकी थी उन्हें जीवनदान मिल गया है।
मौसम में बदलाव से रविवार की रात बादल घिरे, कड़क-चमक के साथ अच्छी बारिश हुई। ठंड बढ़ी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड व कोहरा सरसों व आलू की फसल के लिए नुकसानदेह साबित होता है। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक डा. आरपी चौधरी ने बताया कि फूल व फलियां लगने का समय किसी भी फसल के लिए बेहद संवेदनशील होता है। कोहरा व बदली से सरसों में रोगों का खतरा बढ़ जाता है। बचाव के लिए रोगार, डाइमेथेड अथवा क्लोरपायरीफास दवा एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल तैयार करके छिड़काव करने से माहो से बचाव में लाभकारी होगा। उधर आलू फसल को पाला से बचाने के लिए किसानों को ¨सचाई कर नमी बनाए रखना होगा।