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शहीद हजरत अली असगर की याद में निकला झूले का जुलूस

पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब (सल्ल.) के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम की छठीं तारीख शनिवार को चकमसूद गांव में कर्बला के सबसे नन्हें शहीद हजरत अली असगर की याद में झूले का जुलूस निकाला।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 07:24 PM (IST)
शहीद हजरत अली असगर की याद में निकला झूले का जुलूस
शहीद हजरत अली असगर की याद में निकला झूले का जुलूस

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब (सल्ल.) के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम की छठीं तारीख शनिवार को चकमसूद गांव में कर्बला के सबसे नन्हें शहीद हजरत अली असगर की याद में झूले का जुलूस निकाला। इमाम बारगाह जाफरिया से निकला जुलूस क्षेत्र की मुख्य बाजार, इमाम चौक का भ्रमण कर अजखाने पहुंचा। इस दौरान अंजुमन ए पंजतनी और वाराणसी से आई अंजुमन ने नौहाख्वानी और सीनाजनी की। आरिफ रजा जाफरी ने 'जब रन में कोई शाह का यावर नहीं रहा..' पढ़कर कर्बला की याद ताजा की।

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इस दौरान संपन्न मजलिस को खेताब करते हुए सैयद अबरार हुसैन जाफरी ने कर्बला के शहीदों को याद किया। कहा कि कर्बला में जब सब शहीद हो गए और सिर्फ इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम अकेले रह गए। उस समय छह माह के अली असगर ने खुद को झूले से गिरा दिया। इमाम हुसैन ने असगर को उठाया और मैदान-ए-जंग में ले गए जहां हुरमुला ने अपने तीर से शहीद कर दिया। सोज ख्वानी सुल्तान हैदर जैदी, कफील जाफरी और अब्बास ने पेश की। अनवार हसन जाफरी, परवेज जैदी, सुल्तान •ौदी, सैयद अहमद जाफरी, मौलाना इश्तियाक, शाहिद जाफरी आदि थे।


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