कर्मचारी, उत्पाद संग उपभोक्ता का भी महत्वपूर्ण योगदान
- कंपनी शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम और पनीस शब्द से हुई है। इसका अर्थ है कि साथ-साथ
- कंपनी शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम और पनीस शब्द से हुई है। इसका अर्थ है कि साथ-साथ आना। प्रारंभ में कंपनी ऐसे व्यक्तियों का संगठन होता है तो साथ रहकर बैठक खाते और खाने पर ही व्यवसाय की बातें भी होती थीं। आज कल साथ बैठने का आशय संयुक्त पूंजी से हो गया है। अर्थात ऐसे व्यक्तियों का समूह है जो अपने आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए सामूहिक रूप से कार्य करते हैं। कंपनी में सभी व्यक्तियों द्वारा किया गया आर्थिक योगदान कंपनी की पूंजी कहलाता है।
कंपनी अधिनियम के अनुसार कंपनियां दो प्रकार की होती हो सकती हैं। सरकारी या प्राइवेट कंपनी। प्राइवेट कंपनी में सदस्यों की न्यूनतम संख्या दो और अधिकतम 200 हो सकती है। जबकि सरकारी कंपनी में अधिकतम की कोई सीमा नहीं होती है। सामान्यत: कंपनी की स्थापना तथा पंजीकरण भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 द्वारा शासित होता है। आज कल संयुक्त पूंजी कंपनियों का प्रचलन है, जिसमें उसके कई स्वामी होते हैं। जिन्हें उस कंपनी का शेयर होल्डर या अंश पूंजीधारक कहा जाता है। ऐसी कंपनियां जो किसी एक देश में स्थापित होती हैं परंतु अपने उत्पाद तथा सेवाओं का व्यवसाय अनेक देशों में करती हैं। यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां कहलाती हैं। एक कंपनी एक प्राकृतिक व्यक्ति के रूप में जन्म नहीं लेती, बल्कि कानून के द्वारा अस्तित्व में आती हैं, इसलिए इन्हें कृतिम व्यक्ति भी कहा जा सकता है। यह एक नागरिक नहीं होती तथापि अपने नाम से व्यवसाय कर सकती हैं। बैंक से ऋण प्राप्त व अनुबंध कर सकती हैं। कंपनी के कार्यों के लिए इसके सदस्य दोषी नहीं होते। संचालन निदेशक मंडल करता है जो इसके सदस्य नहीं होते।
एक अच्छी कंपनी के लिए जितना महत्वपूर्ण उसके शेयर धारक होते हैं उतना ही योगदान उसमें कार्य करने वाले कर्मचारी व उसके उत्पादों को क्रय करने वाले उपभोक्ताओं का भी होता है। एक अच्छी कंपनी वही बन पाती है जो अपने कर्मचारियों को वह सभी आर्थिक व प्रोत्साहन सुविधाएं प्रदान करती है जो कंपनी के प्राविधान में निहित है। कर्मचारियों को उत्पाद लक्ष्य केंद्रित बनाकर तथा समान कार्य पर समान वेतन देने को प्राथमिकता देती हैं। कर्मचारियों के मध्य किसी तरह का भेदभाव नहीं करती। उनकी शिकायतों का उचित निस्तारण करती हैं। सफल कंपनी अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों को एक ऐसा स्वस्थ व आत्मप्रेरित कार्य संस्कृति प्रदान करती हैं कि वह स्वयं ही अपना अधिकतम योगदान देने के लिए प्रयासरत हो जाते हैं। प्रत्येक कर्मचारी समर्थित महसूस करना चाहते हैं। इसलिए आवश्यक है कि कंपनी उसके दुर्घटना या क्षति होने पर, छंटनी, आपदा आदि की स्थिति में सहानुभूतिपूर्ण निर्णय लें। एक अच्छी कंपनी अपने उत्पादों, सेवाओं की गुणवत्ता और मार्केटिग के लिए शोध पर व्यय करती हैं। अपने कर्मचारियों को आवश्यतानुसार प्रशिक्षित भी करती हैं।
- डॉ. महेंद्र त्रिपाठी, असिस्टेंट प्रोफेसर, काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर, भदोही।