कैसे चले पढ़ाई, बिना मुखिया चल रहे स्कूल
प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए चाहे जो दावे किए जा रहे हों, तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हों। यहां तक कि बच्चों को सुविधा देने के लिए नि: शुल्क यूनिफार्म, बैग, किताबों सहित मध्याह्न भोजन आदि का वितरण किया जा रहा है। इसके बाद भी बगैर प्रधानाध्यापक के चल रहे करीब दो सौ
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए चाहे जो दावे किए जा रहे हों, तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हों। यहां तक कि बच्चों को सुविधा देने के लिए निश्शुल्क यूनिफार्म, बैग, किताबों सहित मध्याह्न भोजन आदि का वितरण किया जा रहा है। इसके बाद भी बगैर प्रधानाध्यापक के चल रहे करीब दो सौ विद्यालयों से अधिक विद्यालय शिक्षण व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा कर रहे हैं। बगैर मुखिया चल रहे विद्यालयों से शिक्षण कार्य में बाधा भी खड़ी हो रही है।
प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था को सुचारु करने के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने व अधिकाधिक बच्चों का विद्यालय में नामांकन सुनिश्चित हो इसे लेकर शासन-प्रशासन काफी गंभीर है। बच्चों की शिक्षा में किसी तरह की रुकावट न आने पाए निश्शुल्क पुस्तकें, यूनिफार्म, बैग से लेकर दोपहर भोजन तक की व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके जिले में स्थित 365 पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में से दो सौ से अधिक विद्यालय बगैर प्रधानाध्यापक के ही चल रहे हैं। ऐसे में विद्यालयों के संचालन में दिक्कत आ रही है। शिक्षकों का कहना है कि प्रधानाध्यापक न होने से जहां एक ओर जहां विभागीय कार्य प्रभावित होते हैं तो विद्यालय की अनुशासन व्यवस्था को बनाए रखने में भी दिक्कत आती रहती है। पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अखिलेश कुमार यादव व मंत्री तेज बहादुर पाल ने पदोन्नति प्रक्रिया के जरिए रिक्त प्रधानाध्यापक के पदों को भरे जाने की मांग उठाई। कहा कि इससे जहां विद्यालयों में प्रधानाध्यापक की तैनाती हो जाएगी तो वहीं शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ भी मिल जाएगा।