बड़ा पाव से निकला स्वरोजगार का जायका
---------------- सुरेंद्र दुबे सीतामढ़ी भदोही ------------ यदि हुनर हाथ में है तो कहीं भी
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सुरेंद्र दुबे, सीतामढ़ी, भदोही
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यदि हुनर हाथ में है तो कहीं भी कोई दिक्कत नहीं होगी। रोजगार का सहारा तो मिल ही जाएगा। चाहे वह शहर हो या फिर गांव, मेहनत करने वाले कहीं भी निराश नहीं होंगे। लोग येन-केन प्रकारेण परदेश वापसी के इंतजार में लगे हैं। वहीं मुंबई से लौटे बनकट सीतामढ़ी निवासी सुभाष शर्मा दो वक्त की रोटी कैसे चले, इसे देखते हुए गांव में ही मुंबई के बड़ा पाव की गमक बिखेर दी। घर पर ही रोजगार का रास्ता तलाश कर लिया। ऐसे लोगों के लिए नजीर बन गये हैं। जो कोरोना वायरस संक्रमण में प्रांतों से घर लौटे हैं रोजगार न होने का रोना रोते दिख रहे हैं।
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अप्रैल में की थी घर वापसी
- बनकट निवासी सुभाष मुम्बई के अंधेरी में सपरिवार रहकर जीविकोपार्जन किया करते थे। इस बीच चाइना से निकले कोरोना वायरस के खड़े हुए संकट के दौर में जब लॉकडाउन लागू हुआ तो काम धंधा ठप पड़ गया। कमाई की जमा पूंजी लेकर घर की राह थाम ली। अप्रैल परिवार समेत घर आ गए। एक माह तो गुजर गए लेकिन जब जमा पूंजी खत्म हुई तो खड़ी हुई आर्थिक तंगी के चलते माता-पिता तथा एक भाई, पत्नी व तीन बच्चों का गुजारा करना भारी पड़ने लगा।फिर क्या था उन्होंने मुंबई वापसी का मोह ही छोड़ दिया। और लगा लिया गांव के पास ही बड़ा पाव का ठेला, 10 दिन तो ग्राहक नहीं दिखे लेकिन हिम्मत नहीं हारी। अब सात से आठ सौ रुपये की प्रति दिन आमदनी होने लगी है।