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सरकार! कालीन नगरी को तमगा नहीं, सुविधाएं दीजिये

उद्योग बंधु की वेबिनार के जरिये हुई बैठक में निर्यातकों ने समस्या रखी। पूछा कि कालीन नगरी को टाउन आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंट (विशिष्ठ निर्यात क्षेत्र) के तमगे का क्या लाभ जब सुविधाएं ही निर्यातकों और कालीन बुनकरों को मयस्सर नहीं है। डीएम राजेंद्र प्रसाद के समक्ष दो दिन पहले उठी पीड़ा यूं ही नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 09:17 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 06:05 AM (IST)
सरकार! कालीन नगरी को तमगा नहीं, सुविधाएं दीजिये
सरकार! कालीन नगरी को तमगा नहीं, सुविधाएं दीजिये

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जागरण संवाददाता, भदोही : उद्योग बंधु की वेबिनार के जरिये हुई बैठक में निर्यातकों ने समस्या रखी। पूछा कि कालीन नगरी को टाउन आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंट (विशिष्ठ निर्यात क्षेत्र) के तमगे का क्या लाभ, जब सुविधाएं ही निर्यातकों और कालीन बुनकरों को मयस्सर नहीं है। डीएम राजेंद्र प्रसाद के समक्ष दो दिन पहले उठी पीड़ा यूं ही नहीं है। सौ फीसद सच भी है। वर्ष 2018 में जिले को दर्जा मिला, लेकिन सुविधाएं आज तक नहीं मिली। विदेशी आयातक आते हैं तो यहां रात गुजारना नहीं चाहते। कारण कि समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है यहां। निर्यातकों ने कहा कि जनपद सीमाओं पर आज तक विशिष्ठ निर्यात क्षेत्र का साइन बोर्ड भी नहीं लगाया गया। निर्यातकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, उनसे भी सुविधाएं मांगी हैं।

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3500 करोड़ का कारोबार, फिर भी दुर्दशा

भदोही से सालाना साढ़े तीन हजार करोड़ का कालीन कारोबार होता है, इसके चलते ही यह उपलब्धि जिले को मिली। अक्टूबर 2018 में हुए इंडिया कारपेट एक्सपो के आनलाइन लोकार्पण के दौरान पीएम मोदी ने सुविधाएं देने के लिये कहा था। इससे कालीन उद्योग के दिन बहुरने की उम्मीद भी जगी, लेकिन सुविधाओं पर आज भी कोई काम नहीं हुआ।

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यह सुविधाएं मिलनी चाहिये

बिजली, पानी, सड़क व यातायात की सुविधाएं मिलनी चाहिये। विशेष दर्जा मिलने के बाद अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) के पदाधिकारी पिछले दिनों लखनऊ में मुख्य सचिव से मिले थे। आश्वासन मिला था कि सुविधाओं पर काम शीघ्र शुरू होगा। एकमा ने प्रदेश सरकार के अलावा कपड़ा मंत्रालय को भी पत्र लिखे।

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निर्यातकों की जुबानी

कालीन उद्योग को बढ़ावा देने को सरकार कदम उठाती है लेकिन लाभ उद्योग को नहीं मिल रहा है। विशिष्ठ निर्यात क्षेत्र घोषित किये जाने के बाद शहर का कायाकल्प होना चाहिये था।

चित्र 08 -- अब्दुल हादी, उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ एकमा लगातार प्रयासरत है। शासन तक मांग रखी गई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। विशेष दर्जा मिलने पर विकास के रास्ते खुलने चाहिये थे। सरकार को सोचना चाहिए।

चित्र 09--ओंकारनाथ मिश्रा, अध्यक्ष, अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ डीएम की उद्योग बंधु की आनलाइन बैठक में मुद्दा उठाया था। सुविधाएं तो दूर, जनपद सीमाओं पर साइन बोर्ड तक नहीं लगाया गया जबकि सरकार ने स्वयं विशेष क्षेत्र का दर्जा प्रदान किया है।

चित्र 10 -- संजय गुप्ता, सदस्य, प्रशासनिक समिति, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद विशिष्ट निर्यात क्षेत्र का दर्जा मंत्रालय देती है। उनके पास बजट होता है लेकिन डेढ़ साल बाद भी कुछ नहीं मिला। कई बार मंत्रालय व सरकार से चर्चा की गई लेकिन गंभीरता का अभाव दिखा।

चित्र 11 -- पीयूष बरनवाल, पूर्व मानद सचिव, अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ


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