पॉलीथिन में घुटा रोक अभियान का दम
मुख्यमंत्री के दूत यानी शासन के बड़े अफसरों का दौरा शुरू होगा। इसके लिए 11 से 15 जून तक कि तिथि तय की गई है। भ्रमण पर आने वाले अफसरों की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर की जाने वाली रिपोर्टिंग पर खुद सीएम साहब भी मंडल स्तर पर बैठकें कर समीक्षा करने वाले हैं। निश्चित तौर पर अपने भेजे दूतों की निगाह से योजनाओं की हकीकत देखेंगे।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मुख्यमंत्री के दूत यानी शासन के बड़े अफसरों का दौरा शुरू होगा। इसके लिए 11 से 15 जून तक तिथि तय की गई है। भ्रमण पर आने वाले अफसर सीएम के चश्मे से योजनाओं का क्रियान्वयन देखेंगे। खुद सीएम भी मंडल स्तर पर बैठकें कर समीक्षा करेंगे। निश्चित तौर पर वे दूतों की निगाह से योजनाओं की हकीकत देखेंगे। बेहतर कार्य पर प्रशस्ति पत्र देंगे तो खराब कार्य पर दंड भी देंगे। मुख्यमंत्री जिन योजनाओं की पड़ताल कराने वाले हैं उसी में से एक पालीथिन पर प्रतिबंध को लेकर हुई कार्रवाई भी है, जो धरातल पर फेल हो गई। अभियान ने भी पालीथिन में घुटकर दम तोड़ दिया। चंद दिनों तक सक्रियता दिखाकर जिम्मेदार शांत हो गए और पालीथिन पूरी तरह से रफ्तार भरता रहा। जिम्मेदार बनाए गए थे छह विभाग
पालीथिन पर रोक के लिए छह विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसमें राजस्व विभाग (तहसील स्तर के मजिस्ट्रेट), नगर निकाय, प्रदूषण विभाग, मार्केटिंग, आपूर्ति विभाग व पुलिस विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
केस 1 : नगर पालिका परिषद भदोही में चले अभियान में 22 किलोग्राम पालीथिन जब्त करने व एक दर्जन दुकानदारों से नौ हजार रुपए जुर्माना वसूल करने की कार्रवाई की गई। केस 2 : प्रमुख व्यवसायिक नगर गोपीगंज में भी जोर-शोर से अभियान चलाया गया लेकिन कार्रवाई के नाम मात्र ढाई किलो पालीथिन जब्त हुआ तो 6800 रुपए की जुर्माना वसूली हुई। केस 3 : मिनी कालीन नगरी के रूप में मशहूर नगर पंचायत खमरिया में पालीथिन के खिलाफ चले अभियान की सच्चाई यह रही कि तीन किलो पालीथिन जब्त तो 1600 रुपए जुर्माना वसूली हुई। केस 4 : नगर पंचायत ज्ञानपुर की स्थिति कुछ सुधरी नजर आई। यहां 130 किलो पालीथिन जब्त करने की कार्रवाई का आंकड़ा दर्ज है तो आधा दर्जन दुकानदारों से 5300 रुपए जुर्माना वसूल हुआ। लगा मानों आ गई क्रांति : पर्यावरण से लेकर मानव जीवन तक के लिए पालीथिन घातक है। 15 जुलाई 2018 को जब शासन ने रोक लगाने की घोषणा की तो ऐसा लगा मानों क्रांति आ गई। प्रशासनिक अफसर सक्रिय हो उठे, नगर निकायों से लेकर बाजारों तक में जांच अभियान शुरू हो गया। इससे इतर तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं से लेकर आमजन तक ने झंडा बुलंद करना शुरू कर दिया। कहीं रैली निकली तो कहीं गोष्ठी में पालीथिन के नुकसान की कहानी सुनाई गई। लगा कि अब यह सिरे से गायब होगा। चंद दिनों बाद पुन: सब कुछ पुराने ढर्रे पर आ गया। किराना की दुकानों से लेकर फल, सब्जी की दुकानों तक पर धड़ल्ले के साथ प्रतिबंधित पालीथिन का उपयोग किया जा रहा है। जिले में रोजाना तीन कुंतल पालीथिन कारोबार
व्यवसायिक जानकारों की माने तो जिले में औसतन प्रतिदिन तीन कुंतल तक पालीथिन का कारोबार हो रहा है। छोटी-बड़ी किराने की दुकानों से लेकर फल, सब्जी, ठेले-खोमचे आदि को देखा जाय। हर जगह रोजाना 200 ग्राम से डेढ़ किलो तक पालीथिन की थैलियों में लोगों को सामान थमाए जा रहे हैं। पालीथिन की जांच के लिए तीन दिवसीय अभियान 12 से 14 जून तक चलाया जाएगा। अभियान में तहसील स्तर के मजिस्ट्रेट के साथ सीओ या एसओ के साथ नगर पंचायत के कर्मचारी शामिल रहेंगे। अगर कोई दुकानदार प्रतिबंधित पालीथिन की बिक्री व उपयोग करते पाया जाएगा जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी
- राजेंद्र प्रसाद दुबे, ईओ, नगर पंचायत ज्ञानपुर