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लाल निशान के करीब पहुंची गंगा, पलायन की तैयारी में तटवासी

गंगा के तेज धाराओं का कहर शुक्रवार को भी जारी रहा। कोनिया क्षेत्र के छेछुआ कलिकमवैया इटहरा में फसलों को डूबाने के बाद पानी अब लोगों के घरों में पानी घुसना शुरू कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 06:22 AM (IST)
लाल निशान के करीब पहुंची गंगा, पलायन की तैयारी में तटवासी
लाल निशान के करीब पहुंची गंगा, पलायन की तैयारी में तटवासी

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जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही) : गंगा के तेज धाराओं का कहर शुक्रवार को भी जारी रहा। कोनिया क्षेत्र के छेछुआ कलिकमवैया, इटहरा में फसलों को डूबाने के बाद पानी अब लोगों के घरों में पानी घुसना शुरू कर दिया है। इटहरा में रज्जाक हाशमी का घर डूब गया वह निजी विद्यालय में शरण लिए हुए हैं। कोई व्यवस्था न होने से भोजन के लाले पड़ गए हैं। कलिक मवैया में राजेश विश्वकर्मा, कालू विश्वकर्मा का घर पानी से डूब गया। सैकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन डूब चुके हैं। किसानों की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। केंद्रीय जल आयोग की रीडिग के अनुसार अब तक 80.210 पर जल स्तर पहुंच चुका है। इसी तरह जल स्तर में बढ़ाव होता रहा तो शनिवार से रिहायशी इलाकों में पानी पहुंच जाएगा। हरिरामपुर में बस्ती की ओर पानी बढ़ने लगा है। यहां से गजधरा जाने वाली सड़क डूब गई है।

बारिश से उफनाई गंगा लाल निशान के करीब पहुंच चुकी हैं। वर्ष 2013 में आई बाढ़ के दौरान 81.200 मीटर पर पहुंचा था। इसी तरह जल स्तर बढ़ता गया तो आने वाले चौबीस घंटे के अंदर 2013 का रिकर्ड टूट जाएगा। कटान होने से तेज आवाज के साथ गिर रहे करार ने लोगों की नींद उड़ा दी है। अचानक जल स्तर में बढ़ाव से कोनिया क्षेत्र के दर्जनों गांव डीघ,इटहरा, कलिक, मवैया, छेछुआ, भोरा, गजाधरपुर, तुलसीकला, धनतुलसी, भभौरी, बहपुरा, कूडी आदि गांव के लोग दहशत में हैं। इसमें सबसे प्रभावित गांव छेछुआ, गजाधरपुर, तुलसीकला हैं। रात में कटान होने से तेज आवाज के साथ गिर रहे करार से तटवर्ती क्षेत्रों के लोगों की नींद उड़ गई है। बताया जा रहा है इसी तरह से जल स्तर बढ़ता रहा तो दो दिनों में गंगा खतरे के निशान को पार कर जाएंगी।

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ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

कटान से प्रभावित छेछुआ गांव के ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में गंगा किनारे मानव श्रृंखला बनाकर प्रदेश सरकार से गुहार लगाई। ग्रामीणों का कहना है कि हजारों बीघा कृषि योग्य भूमि गंगा में समाहित हो गई है। जिला प्रशासन छेछुआ आकर निरिक्षण तो करते हैं पर कोई उपाय अभी तक नहीं किया जा सका है। किसान भूमिहीन होते जा रहे हैं। गंगा में समाहित जमीन का पट्टा दिलाया जाए और भूर्रा गांव के किनारे बोल्डर का ठोकर बना कटान रोकने का ठोस उपाय किया जाय। प्रदर्शन करने वालों में देवेंद्र सिंह, शशांक सिंह, रामकुमार, शिवगोविन्द सिंह आदि थे।

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सिचाई विभाग के आंकड़े को मान रहा प्रशासन

जिला प्रशासन सीतामढ़ी में स्थित केंद्रीय जल आयोग की रीडिग को नहीं मान रहा है। वह प्रयागराज के केहुनी में स्थित ज्ञानपुर पंप कैनाल की रीडिग के अनुसार काम कर रहा है। सिचाई विभाग के रीडिग के अनुसार खतरे का निशान 84 मीटर पर है। वर्तमान समय में गंगा का जल स्तर 82 मीटर पर है। जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि बाढ़ से अभी जिले में कोई जनहानि होने की संभावना नहीं है। इसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों को नजर रखने के लिए निर्देश दिया गया है।


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