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उग्र हुई गंगा, खतरे का निशान छूने को बेताब

पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से उफनाई गंगा का पानी लाल निशान छूने को बेताब दिखने लगा है। दो दिनों से जल स्तर में हो रहे लगातार बढ़ाव से डीघ ब्लाक क्के कोनिया क्षेत्र में स्थित तटवर्ती गांवों में कटान शुरू हो चुका है। इसी के साथ लोगों की जान सांसत में दिखने लगी है। तटवर्ती कोनिया सहित जिले के कुल 45 गांवों में दहशत व्याप्त है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 12:26 AM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 12:26 AM (IST)
उग्र हुई गंगा, खतरे का निशान छूने को बेताब
उग्र हुई गंगा, खतरे का निशान छूने को बेताब

जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही) : पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से उफनाई गंगा का पानी लाल निशान छूने को बेताब दिखने लगा है। दो दिनों से जल स्तर में हो रहे लगातार बढ़ाव से डीघ ब्लाक के कोनिया क्षेत्र में स्थित तटवर्ती गांवों में कटान शुरू हो चुकी है। इसी के साथ लोगों की जान सांसत में दिखने लगी है। तटवर्ती कोनिया सहित जिले के कुल 45 गांवों में दहशत व्याप्त है। कटान होने से तेज आवाज के साथ गिर रहे करार ने लोगों की नींद उड़ा दी है।

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जनपद के तीन ब्लाक औराई, ज्ञानपुर व डीघ ब्लाक के अंतर्गत 45 गांव गंगा नदी के किनारे बसे हुए हैं। इनमे से सीतामढ़ी क्षेत्र के गांवों में बाढ़ और कटान का खतरा सर्वाधिक बना हुआ है। गंगा की धाराओं से तीन तरफ से घिरा कोनिया क्षेत्र सावन और भादो दोनों माह गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगता है और तटवर्ती इलाकों के लोगों की नींद उड़ जाती है। सीतामढ़ी में स्थित केंद्रीय जल आयोग के मीटर रीडिग के अनुसार 81.2 मीटर पर खतरे का निशान है। मंगलवार को गंगा का जल स्तर 77.820 मीटर दर्ज किया गया। जबकि अभी भी प्रति दो घंटे में एक सेमी जलस्तर बढ़ने का सिलसिला जारी है। जल स्तर में बढ़ाव से कोनिया क्षेत्र के दर्जनों गांव डीघ, इटहरा, कलिक, मवैया, छेछुआ, भोरा, गजाधरपुर, तुलसीकला, धनतुलसी, भभौरी, बहपुरा, कूडी आदि गांव के लोग दहशत में हैं। इसमें सबसे प्रभावित गांव छेछुआ, गजाधरपुर, तुलसीकला आदि में कटान भी शुरू हो चुका है। बताया जा रहा है इसी तरह से जल स्तर बढ़ता रहा तो गंगा का पानी खतरे के निशान को पार कर जाएगा।

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तो शुरू हो जाएगा पलायन

- गंगा के जल स्तर में बढ़ाव तो जारी है। हालांकि पानी बढ़ने की गति थोड़ी धीमी रही लेकिन लोगों का मानना है कि पानी यदि एक मीटर और बढ़ा तो पानी गांवों की ओर बढ़ जाएगा। इससे लोगों को पलायन करने को विवश होना पड़ेगा।


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