अस्पतालों में प्रसूता को मिल रहे भोजन को हजम कर रही एजेंसी
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के बाद अस्पतालों में प्रसूता
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के बाद अस्पतालों में प्रसूता को मिल रहे भोजन को एजेंसी हजम कर जा रही है। कहीं एक वक्त का भोजन दिया जा रहा है तो कहीं सिर्फ कागजों में खानापूर्ति कर लिया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों और एजेंसी के तालमेल से लाखों का वारा-न्यारा किया जा रहा है।
बनकट निवासी पिकी को स्वजनों ने एक अक्टूबर को प्रसव पीड़ा के बाद महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने स्वास्थ्य जरूरत व सुरक्षा के हिसाब से आपरेशन विधि से प्रसव कराया। प्रसव उपरांत एक सप्ताह तक अस्पताल में वह भर्ती रहीं। उनके स्वजनों ने बताया कि भर्ती के दौरान सुबह पांच पूड़ी व सब्जी मिलता था जबकि शाम को दाल, चावल व रोटी मिलती थी। दूध, फल और ब्रेड कभी नहीं दिया गया।
इसी तरह सुरियावां अस्पताल में दिव्या का संस्थागत प्रसव हुआ। स्वजनों ने बताया कि प्रसव के चार घंटे बाद अस्पताल से छ़ुट्टी मिल गई। इस दौरान भोजन व नाश्ता कुछ भी नहीं मिला। यह तो बस बानगी भर है। अस्पतालों में पखवारा भर के भीतर प्रसूता मैना देवी, हीना बेगम, उषा मौर्या, ममता देवी, पूजा देवी आदि के स्वजनों का भी कहना है कि उन्हें भोजन और नाश्ता नहीं दिया गया। जिले में प्रतिदिन दर्जनों प्रसूताओं को अस्पताल से छुट्टी देकर उनके भोजन और दूध, फल आदि एजेंसी के लोग हजम कर जा रहे हैं।
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रखना है 72 घंटे, पहले ही दी जाती है छुट्टी
- अस्पतालों में प्रसव उपरांत प्रसूता को कम से कम 72 घंटे तक रखना होता है लेकिन जनपद के जिला अस्पताल, एमबीएस अस्पताल व सभी सीएचसी पर सामान्य प्रसव होने पर चार से छह घंटे के बाद छोड़ दिया जाता है। कागजों में ऐसी प्रसूताओं को तय समय पर ही छुट्टी दर्ज कर भोजन व नाश्ता में ठेकेदारों की ओर से खेल कर दिया जाता है।
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यह है डायट चार्ट
- प्रसूता को मानक के अनुसार सुबह चाय, ब्रेड और आधा लीटर दूध नाश्ते में देना है। शाम को नाश्ते में चाय ब्रेड और प्रसूता की इच्छानुसार दो अंडे या दो मौसमी फल देने की गाइडलाइन है। दोपहर में दाल, चावल, सब्जी, सलाद और रात को सब्जी-रोटी या पराठा सब्जी देने की गाइडलाइन है।
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- प्रसव के बाद जच्चा व बच्चा के स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर 72 घंटे अस्पताल में भर्ती रखना अनिवार्य है। इस दौरान भोजन, नाश्ता व दूध समय-समय से दिया जाना जरूरी है। इसका पालन अगर नहीं हो रहा है तो गलत है। इसकी जानकारी लेकर गड़बड़ी मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- डा. संतोष कुमार चक
मुख्य चिकित्सा अधिकारी भदोही।