ठंड की मार, ठिठुरा पालिका प्रशासन का अलाव
गलन में वृद्धि होने से कालीन नगरी का जनजीवन सिकुड़ गया है। कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। पालिका प्रशासन द्वारा कुछ स्थानों पर जलवाए जा रहे अलाव की आग भी गलन के आगे बेअसर साबित हो रही है। उधर मंगलवार को दावे के विपरीत कम स्थानों पर अलाव जलाए गए थे जो जले भी वो दो से तीन घंटे में ठंडे पड़ गए। इसके कारण और समस्या उत्पन्न हो गई। पकरी तिराहे पर पिछले दिनों से जल रहा अलाव मंगलवार को ठंडा पड़ गया था। इस दौरान स्थानीय लोगों ने अपने पैसे से लकड़ी मंगाकर आग जलवाया।
जागरण संवाददाता, भदोही : गरीब-असहायों संग राहगीरों के लिए ठंड से बचने का इस समय सबसे माकूल राह अलाव की आग ही दिख रही है। बढ़ती ठंड व गलन के इस दौर में नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक में लोग अलाव की राह तक रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता से न सिर्फ लोग कंपकंपी ले रहे हैं बल्कि अलाव की आंच भी ठिठुर चुकी है।
कोहरे संग देर शाम हुई हल्की बूंदा बंदी से गलन में वृद्धि होने से कालीन नगरी का जन जीवन सिकुड़ गया है। काम काज प्रभावित हो रहे हैं। पालिका प्रशासन द्वारा कुछ स्थानों पर जलवाए जा रहे हैं लेकिन महज खानापूर्ति से अलाव की आग भी गलन के आगे बेअसर साबित हो रही है। मंगलवार को नगर में अलाव जलने के दावे के विपरीत कम स्थानों पर अलाव जलते पाए गए। जो जले भी वो दो से तीन घंटे में ठंडे पड़ गए। इसके कारण और समस्या उत्पन्न हो गई। पकरी तिराहे पर पिछले दिनों से जल रहा अलाव मंगलवार को ठंडा पड़ गया था। स्थानीय लोगों ने अपने पैसे से लकड़ी मंगाकर आग जलवाया। इसी तरह रेलवे स्टेशन के बाहर भी मंगलवार की पालिका की लकड़ी नहीं गिराई गई। यहां भी लोगों ने चंदा करके लकड़ी का इंतजाम किया था। स्टेशन रोड स्थिति राजकीय अस्पताल के सामने, अजीमुल्लाह चौराहा, भरत तिराहा सहित कुछ स्थानों पर अलाव जलते मिले। रोज की तरह मंगलवार को भी लोगों ने कम लकड़ी गिराने की शिकायत की जबकि मंगलवार को भारी गलन के मद्देनजर न सिर्फ अधिक स्थानों पर अलाव जलना चाहिए था बल्कि लकड़िया में ज्यादा गिरनी चाहिए थी। पकरी तिराहा निवासी मनोज यादव ने बताया कि उन्होंने पालिका की व्यवस्था का इंतजार किया। जब शाम तक लकड़ी नहीं गिराई गई तो लोगों को राहत पहुंचाने के लिए उन्होंने अपने पैसे से लकड़ी मंगवाकर आग जलवाया। इसी तरह स्टेशन के बाहर रमेश यादव आदि के सहयोग से लकड़ियों का इंतजाम किया गया।
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ठंडे रहे तहसील प्रशासन के अलाव
- एक तरफ भारी गलन के बीच जहां जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है वहीं तहसील प्रशासन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अधिकारी अलाव जलवाने के दावे करते रहे लेकिन वास्तविकता के धरातल एक भी लकड़ी नजर नहीं आई। बताते चलें कि तहसील प्रशासन द्वारा 21 स्थानों पर अलाव जलवाने के दावे किए जाते हैं। इसमें चौरी बाजार, सुरियावां, दुर्गागंज, मोढ़, सर्रोई आदि के साथ शहर के बाहरी क्षेत्रों नेशनल तिराहा, इंदिरा मिल चौराहा, रजपुरा चौराहा व विवेकानंद चौराहे पर अलाव जलवाने का दावा शामिल है। हालांकि सोमवार की तरह मंगलवार को जागरण की पड़ताल में एक भी स्थान पर अलाव जलता हुआ नहीं मिला। इसके अधिकारियों की उदासीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है।