एफसीआइ का पेच, गोदामों में डंप 40 हजार टन चावल
भारतीय खाद्य निगम के क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर ने पेच फंसा दि
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : भारतीय खाद्य निगम के क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर ने पेच फंसा दिया है। आलम यह है कि मिलरों के गोदाम में 40,000 टन सरकारी चावल डंप है। 16 फीसद नमी के बहाने गोदाम से मिलरों के ट्रकों को वापस कर दिया जा रहा है, इससे संचालकों को आर्थिक क्षति हो रही है। आरोप है कि क्वालिटी के नाम पर वसूली की जा रही है। एक ही लाट का चावल मांगा जा रहा है जबकि केंद्रों पर एक ही किसान से धान की खरीद नहीं होती है।
ऐसे में एक लाट का चावल मिलना मुश्किल होगा। भदोही विधायक रवींद्रनाथ त्रिपाठी ने भी क्वालिटी कंट्रोलर की मनमानी की शिकायत डीएम से की है। आरोप लगाया है कि मिलरों से अवैध उगाही की जा रही है। जिला विपणन अधिकारी श्याम कुमार मिश्र ने क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर वेदमणि त्रिपाठी को तलब भी किया है।
जनपद में धान खरीद के लिए विपणन के छह केंद्रों के अलावा 50 केंद्र खोले गए थे, इसमें से 25 केंद्रों को बंद कर दिया गया है। अब तक जिले में लक्ष्य से अधिक 1.12 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है। चावल बनाने के लिए जिले में 35 मिलरों को अधिकृत किया गया है। रिकार्ड पर गौर करें तो 30,000 टन चावल भारतीय खाद्य निगम के गोदाम में पहुंच गया है जबकि 40,000 टन चावल मिलरों के गोदाम में डंप हैं। मिलरों से वसूली के लिए बनाया जा रहा दबाव
जिले में 35 मिलों में महज दो मिल ऐसी हैं जिनके पास साल्टेक्स मशीन है। मशीन से खराब चावल को अलग कर दिया जाता था। अहम सवाल यह है कि यदि यह उपकरण अन्य मिलरों के पास नहीं थे तो उन्हें लाइसेंस जारी कैसे कर दिया गया है। भारतीय खाद्य गोदाम में क्वालिटी की जांच करते समय सभी 33 मिलरों के चावल फेल हो जाते हैं। क्वालिटी कंट्रोलर से साठ-गांठ करनी ही पड़ती है। जब तक समझौता नहीं होता है, तब तक चावल पास नहीं होगा। इसके लिए मोटी रकम की वसूली की जाती है। इसकी शिकायत मिलने पर डीएम ने जांच का निर्देश डिप्टी आरएमओ को दिया है। भारत सरकार की गाइडलाइ के अनुसार 15 फीसद नमी वाले चावल ही लेना है। मिलर 16 फीसद नमी वाला चावल भेज दे रहे हैं। गोदाम में चावल कई माह तक रखे जाते हैं। चावल खराब होने वेतन से भरना होता है। अब तक 400 लाट चावल उतरवाया गया है। मिलरों को अपने गोदाम पर ही नमी की जांच कर ही लाट भेजना चाहिए। इससे उनका किराया बच जाएगा और परेशान भी नहीं होना पड़ेगा।
-वेदमनि त्रिपाठी, मैनेजर क्वालिटी कंटोल, भारतीय खाद्य निगम।