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आलू के लिए नहीं भटकेंगे किसान

आलू की बोआई करने की तैयारी में लगे किसानों के लिए राहत भरी खबर है। उन्हे आलू बीज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। साथ ही अनुदान भी हासिल होगा। उद्यान विभाग के अंतर्गत संचालित औद्यानिक मिशन के तहत शासन स्तर से जिले में सौ कुंतल आलू बीज वितरण का लक्ष्य तय कर दिया है। विभाग जहां उन्हें बीज उपलब्ध कराने की कवायद में तो किसान बोआई की तैयारी में लग चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 04:59 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 04:59 PM (IST)
आलू के लिए नहीं भटकेंगे किसान
आलू के लिए नहीं भटकेंगे किसान

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : आलू की बोआई करने की तैयारी में लगे किसानों के लिए राहत भरी खबर है। उन्हे आलू बीज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। साथ ही अनुदान भी हासिल होगा। उद्यान विभाग के अंतर्गत संचालित औद्यानिक मिशन के तहत शासन स्तर से जिले में सौ कुंतल आलू बीज वितरण का लक्ष्य तय कर दिया है। विभाग जहां उन्हें बीज उपलब्ध कराने की कवायद में तो किसान बोआई की तैयारी में लग चुके हैं।

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जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार तिवारी ने बताया कि सौ कवींटल फाउंडेशन बीज वितरण का लक्ष्य तय किया गया है। 50 क्वींटल कुफरी सिदूरी, 30 क्वींटल कुफरी ख्याति (सीट साइज) व 20 क्वींटल कुफरी ख्याति (ओवर साइज) बीज उपलब्ध कराया गया है। प्रति क्वींटल निर्धारित मूल्य 2745 रुपये में से एक हजार रुपये अनुदान तय किया गया है। अनुदान राशि घटाकर 1745 रुपये में आलू बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। बताया कि प्रथम आवक, प्रथम पावक के तर्ज पर बीज वितरित होगा।

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तैयारी में जुटे किसान, आया माकूल समय

- आलू की बोआई का समय आ चुका है। किसान खेतों को तैयार कर बोआई कर सकते हैं। उद्यान अधिकारी ने बताया कि बीज उत्पादन के लिए अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक जबकि खाने के लिए आलू की बोआई 15 नवंबर तक की जा सकती है।

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कैसे करें उर्वरक प्रबंधन

- प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोआई के लिए दो क्वींटल यूरिया, तीन क्वींटल डीएपी व दो क्वींटल पोटाश की जरूरत होगी। डीएपी व पोटाश की पूरी मात्रा व यूरिया की आधी मात्रा बोआई के पूर्व खेत में छिड़काव कर उपयोग में लाया जाएगा। जबकि यूरिया की आधी मात्रा पहली सिचाई के बाद मिट्टी चढ़ाते समय देना लाभकारी होगा। इसके अलावां प्रति हेक्टेयर 250 क्वींटल गोबर की सड़ी खाद का छिड़काव करने से उत्पादन बेहतर होगा।


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