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किसानों को मिली संजीवनी, करदाताओं की बल्ले-बल्ले

डीजल इंजन से सिचाई करने में किसानों की कमर टूट जा रही थी। खेती करने में अधिक खर्च कर कम लाभ कमाते थे। अब किसान कम लागत में मालामाल होंगे। उनके लिए केंद्रीय बजट प्रधानमंत्री कुसुम सोलर वाटर पंप योजना के तहत पंप लगाए जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 06:20 PM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 11:47 PM (IST)
किसानों को मिली संजीवनी, करदाताओं की बल्ले-बल्ले
किसानों को मिली संजीवनी, करदाताओं की बल्ले-बल्ले

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : डीजल इंजन से सिचाई करने में किसानों की कमर टूट जा रही थी। खेती करने में अधिक खर्च कर कम लाभ कमाते थे। अब किसान कम लागत में मालामाल होंगे। उनके लिए केंद्रीय बजट प्रधानमंत्री कुसुम सोलर वाटर पंप योजना के तहत पंप लगाए जाएंगे। पहले पुराने डीजल इंजन से सिचाई करने वाले किसानों को आच्छादित किया जाएगा। इसके साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड बनाने का भी लक्ष्य बढ़ा दिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तुत बजट में करदाताओं में आस जगी है। आलम यह है कि आय सीमा बढ़ने से दो लाख से अधिक करदाता लाभान्वित होंगे।

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वाराणसी का हिस्सा रहा भदोही जनपद का तीस जून 1994 को अभ्युदय हुआ। कालीन उद्योग के क्षेत्र में विश्व विख्यात इस जनपद में यातायात सुविधाओं से लैस है। इसके बाद भी कृषि और अन्य उद्योगों को बाजार नहीं मिला पाया। परिणाम यह हुआ कि लघु उद्योग की स्थिति पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। अभिलेखों पर गौर किया जाए तो जिले में 77 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती की जाती है। यहां पर एक लाख 67 हजार किसान हैं। कृषि विभाग में एक लाख 48 हजार किसान पंजीकृत हैं। हकीकत यह है कि कागजों में तो इतना बड़ा क्षेत्रफल है, लेकिन आर्थिक संकट से जूझ रहे किसान खेती से मुंह मोड़ने लगे थे। तटवर्ती क्षेत्र में उपजाऊ भूमि होने के बाद भी सिचाई का साधन न होने के कारण किसान अरहर आदि की खेती कर काम चला ले रहे थे। केंद्रीय सरकार ने कृषि के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए जो बजट प्रावधान किया है उससे मृत प्राय: हो चुकी कृषि और किसानों को संजीवनी मिली है। सोलर वाटर पंप के माध्यम से असिचित क्षेत्रों में भी फसलें लहलहाएंगी। आयकर में भी पांच लाख तक छूट मिलने से करदाताओं का बल्ले-बल्ले है। पीएम कुसुम सोलर वॉटर पंप से फायदा

तीन हार्स पॉवर तक सोलर वॉटर पंप में किसान को 70 फीसद सब्सिडी दी जाती है। इसकी लागत 2.5 लाख रुपये आता है जिसमें किसानों को महज 56 हजार भुगतान करना पड़ता है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में जिले में कुल 27 सोलर वॉटर पंप का लक्ष्य मिला था। सभी सोलर वॉटर पंप लगा दिए गए हैं। इस योजना में सब्सिडी बढ़ाकर 90 फीसद करने की योजना है। उप कृषि निदेशक अरविद कुमार का कहना है कि सोलर वाटर पंप से किसानों को सिचाई से सुविधा मिल रही है। यह किसानों के लिए सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। कृषि किसान कार्ड भी शुरूआती दौर में 27 हजार किसानों को बनाए गए थे। अब बढ़कर यह 35 हजार हो गया है। नए बजट में इसका दायरा बढ़ने पर अब इसकी संख्या और बढ़ सकेगी।


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