फीका हुआ कारपेट एक्सपो, निर्यातक निराश
वाराणसी में चल रहे चार दिवसीय इंडिया कारपेट का ऊंट किस करवट बैठेगा यह मेले के तीसरे चौथे सोमवार की शाम तक ही स्पष्ट होगा। जब मेला आयोजक कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) करोडों के व्यवसाय सृजन का दावा करेगी। जबकि तीन दिन के रूझान पर गौर करें तो इस बार मेला निराशाजनक ही साबित होगा। मेले में भागीदारी करने वाले अधिकतर निर्यातकों का यही मानना है। निर्यातकों के अनुसार पहले दो दिन भले ही आयातकों की अच्छी आमद हुई लेकिन तीसरे दिन मेले में स्थापित अधिकतर स्टालों पर सन्नाटा पसरा रहा। कुछ बड़े व्यवसायियों के स्टालों पर भले ही परंपरागत ग्राहक देखे गए लेकिन उनमें भी उत्साह की कमी रही।
जासं, भदोही : वाराणसी में चल रहे चार दिवसीय इंडिया कारपेट एक्सपो भदोही के निर्यातकों के लिए निराशा भरा साबित हो रहा है। तीन दिन के रूझान पर गौर करें तो अबकी मेला निराशाजनक रहा। मेले में भागीदारी करने वाले अधिकतर निर्यातकों का यही मानना है। पहले दो दिन भले ही आयातकों की अच्छी आमद हुई लेकिन तीसरे दिन मेले में स्थापित अधिकतर स्टालों पर सन्नाटा रहा। कुछ बड़े व्यवसायियों के स्टालों पर भले ही परंपरागत ग्राहक देखे गए लेकिन उनमें भी उत्साह की कमी रही।
मेले की व्यवसायिक सफलता के लिए सीइपीसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। विश्व के परंपरागत कालीन खरीदार देशों के साथ साथ नए देशों के नए ग्राहकों को आमंत्रित किया था। आयातकों की आमद के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया गया था लेकिन उत्साहजनक परिणाम देखने को नहीं मिला। रविवार को मेले में भागीदारी करने वाले कुछ निर्यातकों से बात की तो उनका जवाब निराशाजनक रहा। वरिष्ठ निर्यातक श्याम नारायण यादव का कहना है कि मेले में भागीदारी का खर्च निकलना भी मुश्किल हो गया है। परिषद भले ही करोड़ों का व्यवसाय सृजन के दावे करे लेकिन वास्तविकता यह है कि विगत मेलों की तरह इस बार निराशा ही हाथ लगी है। निर्यातक जय प्रकाश गुप्ता ने बताया कि निर्यातक को पांच से दस लाख रुपये की चपत लगती है। युवा निर्यातक शादाब हुसैन गोल्डी ने भी स्टाल लगाने की औपचारिकता के निर्वहन की बात की। कहा कि यही हाल रहा तो आने वाले दिनों कालीन मेले में भागीदारी से लोग इंकार कर सकते हैं।