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चित्र.35--- बताई बारिकीयां, कैसे करें फसल अवशेष प्रबंधन

कृषि विज्ञान केंद्र भदोही के तत्वावधान में फसल अवशेष प्रबंधन विषयक गोष्ठी में प्रसार कार्यकर्ताओं को खेती की विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें सभी किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जागरुक करने पर जोर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Mar 2020 05:35 PM (IST)Updated: Thu, 19 Mar 2020 05:35 PM (IST)
चित्र.35--- बताई बारिकीयां, कैसे करें फसल अवशेष प्रबंधन
चित्र.35--- बताई बारिकीयां, कैसे करें फसल अवशेष प्रबंधन

----गोष्ठी

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- खेतों में फसलों का अवशेष जलाने से नष्ट होती है उर्वरा शक्ति

- प्रसार कार्यकर्ताओं को दक्ष कर किसानों को लाभ देने पर जोर

जागरण सवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : कृषि विज्ञान केंद्र भदोही के तत्वावधान में फसल अवशेष प्रबंधन विषयक गोष्ठी में प्रसार कार्यकर्ताओं को खेती की विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें सभी किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जागरुक करने पर जोर दिया गया। उप कृषि निदेशक अरविद कुमार सिंह ने गोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कहा कि विशेषज्ञों द्वारा दी जाने वाली जानकारी से किसानों को पूरी तन्मयता के साथ पहुंचाएं, ताकि वह उससे बेहतर तकनीक के साथ खेती कर अधिक उत्पादन हासिल कर सकें।

कृषि प्रसार विशेषज्ञ डॉ. आरपी चौधरी ने फसल अवशेष प्रबंधन की तकनीक पर चर्चा की। फसल अवशेष को जलाने से होने वाले नुकसान को बताया। कहा कि फसल अवशेष को जलाने के बजाय खेत में जोई कराकर मिला दिए जाने से मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ जाती है। जबकि जलाने से भूमि में पाए जाने वाले तमाम लाभदायक कीट आदि नष्ट हो जाते हैं। उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है। केंद्र के कृषि मौसम विशेषज्ञ सर्वेश बरनवाल ने पराली जलाने से नुकसान के बारे में बताया। कहा कि इसके साथ ही पराली जलाने से उठने वाले छोटे-छोटे कणों के वायुमंडल में संगठित होने से सूर्य के प्रकाश का धरती पर न पहुंच पाना तथा धुंधला मौसम बने रहने के बारे में बताया। मृदा हृास, वैश्विक तापमान में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की। केंद्र के अध्यक्ष डा. विश्वेंदु द्विवेदी ने कोरोना वायरस से बचाव के तरीके तथा उसके लक्षणों के बारे में जागरुक किया। इस मौके पर जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार प्रजापति सहित प्रसार अधिकारी थे।


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