80 फीसद गांवों में नहीं दिखाई देते पंचायत अधिकारी
वैश्विक महामारी में नगरीय क्षेत्रों के साथ ही साथ गांव में भी साफ-सफाई के साथ ही साथ दवाओं के छिड़काव आदि के लिए ग्राम पंचायत सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। डीएम राजेंद्र प्रसाद की और से सख्त निर्देश भी जारी किया गया लेकिन उनका फरमान ढाक के तीन पात साबित हो रहा है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : वैश्विक महामारी में नगरीय क्षेत्रों के साथ ही साथ गांव में भी साफ-सफाई के साथ ही साथ दवाओं के छिड़काव आदि के लिए ग्राम पंचायत सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। डीएम राजेंद्र प्रसाद की ओर से सख्त निर्देश भी जारी किया गया, लेकिन उनका फरमान ढाक के तीन पात साबित हो रहा है। इसकी पुष्टि भी प्रतिबंध के दिन रविवार को निरीक्षण पर निकले मुख्य विकास अधिकारी विवेक त्रिपाठी से की जा सकती है। सीडीओ से स्पष्ट रूप से कहा है कि ब्लाकों में तैनात सहायक विकास अधिकारी पंचायत का नियंत्रण सचिवों पर नहीं है। 80 फीसद गांवों में पंचायत और ग्राम विकास अधिकारी नहीं पहुंच रहे हैं। आलम यह है कि कुटुंब रजिस्टर के साथ ही साथ अन्य लाभपरक योजनाओं से जहां ग्रामीण अंजान हैं तो वहीं साफ-सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। ग्राम पंचायत और ग्राम विकास अधिकारियों का गांव में दर्शन दुर्लभ हो गया है। गांव में कब आते-जाते हैं। इस बारे में किसी को खबर नहीं रहती।
------------
चेक काटने के लिए अड्डे पर आते हैं सचिव
ग्राम पंचायत सचिव और प्रधानों ने प्रत्येक ब्लाक में अपना अड्डा बनाए हुए हैं। महीने-दो महीने में आते भी है तो वह अपने निश्चित अड्डा पर आए। चेक काटने के बाद अपने हिस्से का हिसाब लेकर फिर रवाना हो जाते हैं। गांव में आवास बना अथवा नाली बनी आदि से उनका कोई लेना-देना नहीं रहता है। जांच और सत्यापन का काम तो रोजगार सेवक को सौंप देते हैं। रोजगार सेवक भी अपनी हथेली गरम प्रधान के मनमाफिक काम करता रहता है।
-------------
सीडीओ ने डीपीआरओ को भेजा पत्र
मुख्य विकास अधिकारी ने गांवों में सचिव की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया है। जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र भेजा है कि डीघ विकास खंड में ग्राम पंचायत अधिकारी पारसनाथ को छोड़कर कोई भी सचिव अपने क्षेत्र में नहीं रहते हैं। यह स्थिति बहुत ही आपत्तिजनक है। गांव की साफ-सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रहा है।