गर्मी की दस्तक संग गहराने लगा पेयजल संकट
शहर तक लेकर गांव तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव लोगों के लिए परेशानी का कारण साबित हो रहे है। विशेषकर समुचित पेयजल व्यवस्था में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। ग्रामीण अंचलों स्थिति पेयजल इकाइयां जहां दम तोड़ चुकी हैं वहीं शहरी क्षेत्रों की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है। यही कारण है कि गर्मी के दिनों में पेयजल संकट के चलते हर ओर हाहाकार मच जाता है।
जागरण संवाददाता, भदोही : गर्मी की दस्तक के साथ ही नगर से लेकर गांव तक पेयजल को लेकर संकट खड़ा होते दिखने लगा है। समुचित पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। ग्रामीण अंचलों स्थिति पेयजल इकाईयां जहां दम तोड़ चुकी हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है। यही कारण है कि गर्मी के दिनों में पेयजल संकट के चलते हर ओर हाहाकार मच जाता है।
नगरीय क्षेत्रों में पेयजलापूर्ति की व्यवस्था नगर प्रशासन जलनिगम के सहयोग से करता है। इसके चलते अक्सर समस्या उत्पन्न होती रहती है। बढ़ती आबादी के सापेक्ष प्रशासन भरपूर पेयजल आपूर्ति में फिसड्डी साबित हो रहा है। नजीर के तौर पर भदोही नगर पालिका परिषद की एक लाख से अधिक आबादी हेतु पेयजल की जो व्यवस्था है वह नाकाफी साबित हो रही है। पालिका ने वैसे तो सात नलकूप स्थापित किए हैं लेकिन उनमें चार ही संचालित होने की स्थिति में हैं। शेष तकनीकी कारणों से शो-पीस साबित हो रहे हैं। उधर दशकों पूर्व बिछाई गई व क्षतिग्रस्त पाइप लाइनें भी संकट का कारण बन रहीं हैं। नगर का काजीपुर में पेयजल संकट के मामले में अव्वल है। उक्त मोहल्ले में अधिकतर लोग निजी सब मर्सिबल पंपों के सहारे काम चला रहे हैं। मोहल्ला निवासी सरवरी बेगम, नूरी, हदीसुन, जाहिदा, रुक्सार बानो, मो सैफ, रुखसाना, मो दानिश आदि का कहना है कि पालिका की पाइप लाइनों में कभी-कभी पानी आता है।
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होती है प्रदूषित पेयजलापूर्ति
- कुछ स्थानों पर तो यह स्थिति है कि तीन दशक पहले बिछाई गई पाइप लाइनें सीवर लाइनों से होकर गुजरी हैं। जिनके जर्जर होने के कारण आए दिन घरों में सीवर लाइन का पानी पहुंच जाता हैं। इसे लेकर संबंधित मोहल्लेवासी हल्ला मचाते है लेकिन पालिका इस दिशा में गंभीर नहीं होता। हालांकि गंभीर पेयजल संकट को देखते हुए ही समस्याग्रस्त मोहल्लों में सब मर्सिबल पंप लगाए गए थे।
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बोर्ड की बैठक में हो चुका है मंथन
- वर्तमान पालिका बोर्ड ने गठन के बाद ही पेयजल संकट को लेकर मंथन किया था। इस दिशा में कुछ काम भी किया गया। दो पुराने पंपों को री-बोर कर चालू भी किया गया। इसके अलावा तकनीकी कारणों से बेकार साबित हो रहे सबमर्सिबल पंपों की मरम्मत भी कराई गई लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि समस्या का पूरी तरह समाधान नहीं हो सका। नगर के कई वार्डों में पेयजल किल्लत हमेशा बनी रहती है।