जर्जर अस्पताल भवन में बैठने से कतराते हैं चिकित्सक
स्वास्थ्य सेवा के नाम पर भले ही सरकार धन वर्षा कर रही है लेकिन वास्तविकता के धरातल पर स्थिति यह है कि अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। विशेषकर ग्रामीण अंचलों स्थित अस्पतालों की हालत सबसे दयनीय है। चौरी क्षेत्र के आयुर्वेदिक अस्पताल भवनों की हालत देख इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, चौरी (भदोही) : स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर भले ही सरकार धन वर्षा कर रही है लेकिन वास्तविकता के धरातल पर अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। विशेषकर ग्रामीण अंचलों में स्थित अस्पतालों की हालत सबसे दयनीय है। चौरी क्षेत्र में स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल भवनों की हालत देख इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्षेत्र के चौरी बाजार, बरवां बाजार, सर्वतखानी, पल्हैया आदि स्थानों पर दशकों पूर्व राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों की स्थापना की गई थी ताकि जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो सके। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि विभागीय उदासीनता के चलते उक्त सभी अस्पताल रामभरोसे होकर रह गए। अस्पताल में पर्याप्त दवाओं का अभाव तथा चिकित्सकों की कमी के बीच दशकों पुराने हो चुके भवन भी जर्जर हालत में जा पहुंचे हैं। आलम यह है कि बरसात के दिनों में अस्पताल परिसर झील में तब्दील हो जाता है। दवा के साथ जरूरी कागजात भी सुरक्षित रखना मुश्किल हो जाता है। जगह जगह दीवारें चटकने तथा छत दरकने के बाद चिकित्सक बाहर बैठ कर रोगियों को देखने के लिए विवश हैं। चौरी बाजार स्थित चिकित्सालय के चिकित्साधिकारी डा. बृजराज पटेल ने बताया कि जान जोखिम में डालकर ही जर्जर भवन में जाना होता है। उनका कहना है कि इस संबंध में विभाग को कई बार अवगत कराया जा चुका है लेकिन अस्पताल भवन की मरम्मत आदि को लेकर गंभीरता का अभाव देखा जा रहा है। क्षेत्रीय निवासी अनिल चौरसिया, विनोद द्विवेदी, मिठाइलाल दुबे आदि का कहना है कि आयुर्वेदिक अस्पतालों से क्षेत्रीय लोगों को काफी राहत थी लेकिन अब हालत यह है कि न तो अस्पताल में बैठने लायक है न ही बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। यही कारण है कि लोग उक्त अस्पतालों से कतराने लगे हैं। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का ध्यानाकृष्ट कराते हुए आयुर्वेदिक अस्पतालों की दशा सुधारने की मांग की है।