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उड़ रही आचार संहिता की धज्जियां, बोर्ड पर नहीं पड़ रही नजर

लोकसभा सामान्य निर्वाचन - 2019 का बिगुल बजने के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता भी प्रभावी हो गई है। जिसके पालन को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सख्त हिदायत दिया गया है। बावजूद इसके विद्युत विभाग की ओर से संचालित सौभाग्य योजना के तहत आच्छादित मजरों में लगे बोर्ड पर अंकित चित्र आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में आता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 06:05 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 06:05 PM (IST)
उड़ रही आचार संहिता की धज्जियां, बोर्ड पर नहीं पड़ रही नजर
उड़ रही आचार संहिता की धज्जियां, बोर्ड पर नहीं पड़ रही नजर

-विभूति नारायण दूबे, ज्ञानपुर (भदोही)।

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- लोकसभा सामान्य निर्वाचन-2019 का बिगुल बजने के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता भी प्रभावी हो गई है। जिसके पालन को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सख्त हिदायत दी गई है। बावजूद इसके विद्युत विभाग की ओर से संचालित सौभाग्य योजना के तहत आच्छादित मजरों में लगे बोर्ड पर अंकित चित्र आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। बावजूद इसके पालन कराने को लेकर अधिकारियों की नजर न पड़ने से आदर्श आचार संहिता का पालन होता नहीं दिख रहा है।

आदर्श आचार संहिता पालन को लेकर जनपद के अधिकारियों की ओर से कोई खास सक्रियता नहीं दिख रही है। उल्लंघन को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता से अंकुश लगता नहीं दिख रहा है। जर्जर विद्युत व्यवस्था से निजात दिलाने के लिए सरकार की ओर से संचालित सौभाग्य योजना के जनपद में चिन्हित मजरों को आच्छादित किया गया है। विभाग की ओर से सभी मजरों में योजना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बोर्ड पर ब्यौरा के साथ प्रभावशाली शख्सियत के चित्र का बोर्ड स्थापित किया गया है।

योजना से आच्छादित किए गए मजरों के बारे में विभागीय विभागीय आंकड़ों पर भरोसा करें तो जिले में 3602 मजरों को सौभाग्य योजना से आच्छादित किया गया है। योजना के तहत आच्छादित मजरों में लाखों खर्च कर योजना के प्रचार-प्रसार व लोगों को जागरूक करने के लिए सांकेतिक बोर्ड भी लगाया गया है। बोर्ड पर अंकित प्रतिकृति व अन्य ब्यौरा आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन की श्रेणी में आता है। आलम यह है कि बोर्ड को हटाने को लेकर विभागीय स्तर से कोई ठोस सख्ती नहीं दिख रही है। जमीनी पड़ताल में कुछ स्थानों पर लगे बोर्ड में छपे चित्र को ढक दिया गया है तो किसी बोर्ड में पेंटिग कर दिया गया है। शेष अधिकांश बोर्ड पर अभी तक जिम्मेदार अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी है।


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