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फसलों पर बेसहारा मवेशी की मार, अन्नदाता हुए लाचार

दो बीघे गेहूं की बोआई किए हैं। रखवाली की जा रही है। इसके बाद भी मवेशियों से बचाना मुश्किल हो रहा है। दिन में तो लोग देख ले रहे हैं लेकिन रात में रखवाली नहीं हो पा रही है। मवेशियों को आश्रय स्थल पहुंचाने का प्रयास नहीं हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 11:01 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 11:01 PM (IST)
फसलों पर बेसहारा मवेशी की मार, अन्नदाता हुए लाचार
फसलों पर बेसहारा मवेशी की मार, अन्नदाता हुए लाचार

जागरण संवाददाता, ऊंज (भदोही) : खेती कर जीविकोपार्जन करना अब आसान नहीं रह गया है। कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी सिचाई, खाद-बीज की सुविधा समय से न मिल पाने से चलते फसल बर्बाद हो रही है तो मौजूदा समय में बेसहारा मवेशी अन्नदाताओं के दुश्मन बने नजर आ रहे हैं। यह कहना रहा डीघ ब्लाक क्षेत्र के ऊंज, बैरीबीसा सहित जगापुर आदि गांव के किसानों का। खरीफ सीजन की धान फसल जहां अंतिम दौर में हुए अतिवृष्टि से बर्बाद हो गई तो अब रबी की फसल पर बेसहारा मवेशी की मार पड़ रही है। महंगी लागत लगाकर बोई जा रही फसल को मवेशी बर्बाद कर दे रहे हैं। दिन-रात रखवाली के बाद भी फसल बचाना मुश्किल है। इससे किसान लाचार बने हैं तो मवेशियों से छुटकारा दिलाने वाले जिम्मेदार अनभिज्ञ। फसल बचाए तो कैसे समझ में नहीं आ रहा है। आश्रय स्थल का दावा, खेतों में मंडरा रहे बेसहारा

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- शासन ने बेसहारा मवेशियों को आश्रय देने के लिए गोशाला का निर्माण कराने का निर्देश दिया गया है। जिले में अस्थाई व अस्थाई कुल 20 गोशाला का निर्माण कराकर उसमें मवेशियों को चारा-पानी के साथ सारी सुविधाएं देने का दावा भी हो रहा है। इसके बाद भी आलम यह है कि रात हो बेसहारा मवेशी हर समय खेतों के आस-पास ही मंडराते देखे जा रहे हैं। कोई गांव ऐसा नहीं दिखता, जहां 10-20 मवेशियों का झुंड न दिख जाय।

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क्या बोले अन्नदाता

- गेहूं की बोआई किए हैं। अभी पहली सिचाई हुई है। फसल बढ़वार पर नहीं आ पा रही है। कारण है कि बेसहारा मवेशी फसल को चर जा रहे हैं। फसल कैसे बढ़वार पर आए समझ में नहीं आ रहा है। महंगा खाद-बीज सब बर्बाद हो जा रहा है।

चित्र.2-- विजय शंकर तिवारी

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- बेसहारा मवेशियों के चलते गेहूं सहित आलू व सब्जी तक की खेती चौपट हो रही है। महंगी लागत लगाकर फसल बोई जा रही है तो उसे मवेशी चबा जा रहे हैं। दलहन, तिलहन फसल बोने की हिम्मत ही नहीं पड़ रही हैं।

चित्र.3-- लालचंद दुबे

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- दो बीघे गेहूं की बोआई किए हैं। रखवाली की जा रही है। इसके बाद भी मवेशियों से बचाना मुश्किल हो रहा है। दिन में तो लोग देख ले रहे हैं लेकिन रात में रखवाली नहीं हो पा रही है। मवेशियों को आश्रय स्थल पहुंचाने का प्रयास नहीं हो रहा है।

चित्र.4-- पप्पू विश्वकर्मा

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- दलहन, तिलहन की खेती नहीं हो पा रही है। गेहूं की बोआई किए हैं लेकिन अब बेसहारा मवेशियों के चलते वह भी नहीं बच रहा है। मवेशियों को गोशाला भेजवाने की व्यवस्था होनी चाहिए।

चित्र.5-- रमाशंकर शुक्ला


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