फसल बर्बाद कर रहे बेसहारा मवेशी व नीलगाय
बेसहारा मवेशी व नीलगाय (घड़रोज) की समस्या से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। धान की नर्सरी से लेकर रोपी गई फसल व अन्य फसलों को मवेशी व नीलगाय खा जा रहे हैं। रातों-रात किसानों के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई से बोई गई फसलों को बर्बाद कर दे रहे हैं। निजात का कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। उधर बेसहारा मवेशियों
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बेसहारा मवेशी व नीलगाय (घड़रोज) की समस्या से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। धान की नर्सरी से लेकर रोपी गई फसल व अन्य फसलों को मवेशी व नीलगाय खा जा रहे हैं। रातों-रात किसानों के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई से बोई गई फसलों को बर्बाद कर दे रहे हैं। निजात का कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। उधर बेसहारा मवेशियों को पकड़कर गोशाला भेजे जाने का अभियान भी ठप पड़ चुका है।
एक तरफ बेसहारा मवेशी जहां किसानों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ नीलगायों का झुंड खेतों में खड़ी फसल को तबाह कर रहा है। अब तो स्थिति यह हो गई है कि छुट्टा के आड़ में तमाम लोग अपने दुधारू पशुओं को भी दूध निकालने के बाद बछड़ों संग उनको खुला छोड़ देते हैं। शायद ही ऐसा कोई गांव हो जहां चार से पांच अवारा बछड़े व नीलगाय टहलते दिखाई न दिखाई पड़े। मौजूदा समय में धान की नर्सरी व रोपी जा चुकी फसल में मवेशियों व नीलगायों के दौड़ने व चरने से नुकसान पहुंच रहा है। इसी तरह सब्जियों व दलहन-तिलहन की फसल भी चर जा रही हैं। भिदिउरा के किसान राजेश पाठक व दौड़ियाही के हीरालाल ने कहा कि कब मवेशी व नीलगाय पहुंचकर चट कर जाएंगे कुछ कहा नहीं जा सकता।