मनरेगा भुगतान नहीं हो रहा शासनादेश का पालन
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) ग्रामीण अंचल के साथ ही सरकारी विभागों में श्रमिकों का भ
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : ग्रामीण अंचल के साथ ही सरकारी विभागों में श्रमिकों का भुगतान चौदहवां और राज्य वित्त से करने पर रोक लगा दी गई थी। केंद्र सरकार की गाइडलाइन चार साल बाद भी आलमारी में धूल फांक रही। डीएम द्वारा कई बार कड़ाई से पालन कराने के फरमान भी बेअसर साबित हो रहे हैं। ग्राम पंचायतों में इस गाइडलाइन की अनदेखी कर करोड़ों का गोलमाल किया जा रहा है। ग्रामीण और शहरी विकास के लिए प्रत्येक वर्ष चौदहवां और राज्य वित्त के मद में करोड़ों रुपये मिलते हैं। बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारत सरकार ने चौदहवां व राज्य वित्त को जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायतों में न भेजकर सीधे ग्राम पंचायतों में भेजने की योजना बनी थी।
------------
एक लाख मजदूर हो गए बेकार
मनरेगा में पंजीकृत एक लाख मजदूर बेकार हो गए। उनका नगरीय क्षेत्रों में पलायन होने लगा। वित्तीय वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में जनपद फिसड्डी रहा। खराब बात तो यह है कि अधिकारियों के काले कारनामे के चलते वर्ष 2015 में जारी शासनादेश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया।
------------
क्या जारी किया गया था शासनादेश : चौदहवां और राज्य वित्त के बजट को श्रमांश मद में किसी भी दशा में खर्च नहीं किया जाएगा। श्रमांश मद महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से खर्च किए जाएंगे। इस शासनादेश को ध्यान में रखकर ही ग्राम पंचायतों में कार्ययोजना तैयार की जानी थी। इस शासनादेश से जहां मजदूरों को संजीवनी मिलेगी तो वहीं पंचायतों में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल पर अंकुश लगेगा। इसको लेकर डीएम की ओर से समय-समय पर पत्र जारी होते रहे हैं लेकिन शासनादेश का अमल नहीं जा रहा है।