कोरोना वारियर्स के हाथ सजेगी बहनों की भेजी राखी
कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है। कोरोना काल में पहली बार पड़ रहे प्रमुख रक्षाबंधन पर्व को लेकर हर किसी में उत्साह देखा जा रहा है। भाइयों की कलाई को सजाने के लिए बेताब बहनें जहां रंग-बिरंगी आकर्षक राखियों की खरीदारी में कई दिन से लगी हैं तो भाई भी पर्व को यादगार बनाने के लिए आकर्षक गिफ्ट
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : कोरोना संक्रमण का दौर चल रहा है। कोरोना काल में पहली बार पड़ रहे प्रमुख रक्षाबंधन पर्व को लेकर हर किसी में उत्साह देखा जा रहा है। भाइयों की कलाई को सजाने के लिए बेताब बहनें जहां रंग-बिरंगी आकर्षक राखियों की खरीदारी में कई दिन से लगी हैं तो भाई भी पर्व को यादगार बनाने के लिए आकर्षक गिफ्ट आदि खरीद रहे हैं। ऐसे समय में कोरोना संक्रमितों की पूरी तल्लीनता के साथ सेवा में लगे कोरोना वारियर्स के कलाइयों पर बहनों की भेजी राखी ही सजेगी। संकट के इस दौर में भले ही भाई-बहनों एक दूसरे के पास नहीं पहुंच पा रहे हैं बहनों की राखी व भाइयों के गिफ्ट उनके पास पहुंच रहे हैं।
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चित्र.30 से 33 तक-- बहनों ने भेजी है राखी, मिलने पर भेंट करेंगे उपहार
- कोरोना संक्रमितों की सेवा व उपचार करते-करते खुद भी संक्रमण की जद में आए सुरियावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात डॉ. राधेश्याम चौहान स्वस्थ होकर एक बार फिर से ड्यूटी पर आ चुके हैं। बताया कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में उनका प्रथम दायित्व संक्रमितों की सेवा है। इसलिए वह अवकाश लेकर घर जाने के बजाय बहनों की भेजी राखी को उनका प्यार समझकर कलाई पर सजाएंगे। जब भी मौका मिलेगा तो उन्हें उपहार भेंट करेंगे। उधर उनकी बहन सारिका चौहान ने भी कहा कि उनके भाई इस समय देश की तमाम भाई-बहनों की सेवा में लगे हैं। ऐसे में उन्होंने भाई के लिए राखी भेज दी है। यह पर्व उनके लिए हमेशा यादगार रहेगा। इसी तरह कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य कर्मी धर्मप्रवीण चौबे आइसोलेट की अवधि व्यतीत कर पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। वह भी ड्यूटी पर लग चुके हैं। वह भी बहन की ओर से भेजी गई राखी को कलाई पर सजाएंगे। कहा कि जो संकट का दौर है उसमें उनका सबसे बड़ा दायित्व पीड़ितों की सेवा है। उनकी बहन दिव्या चौहान भी भाई के दायित्व को बखूबी समझती हैं। उन्होंने भी राखी भेजकर भाई के दीर्घायु व खुद के रक्षा की कामना की है।
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चित्र.34 व 35-- कम नहीं होगा प्यार व अपनत्व
- यह ऐसा पहला मौका नहीं है, जब वह बहनों के पास नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसके पहले भी बहन ने राखी भेजी थी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार का मौका इस लिहाज से अहम हो जाता है कि तमाम लोग जो अवकाश लेकर घर चले जाते हैं वह भी नहीं जा पा रहे हैं। संक्रमितों की सेवा में लगे हैं। यह कहना रहा जिला अस्पताल में तैनात डॉ. अजीत पाठक व वरिष्ठ लैब तकनीशियन प्रमोद कुमार दुबे का। कोरोना काल के इस दौर में सभी अपने दायित्व का ईमानदारी के साथ निर्वहन करने में लगे हैं। कहा कि बहनों द्वारा भेजी गई राखी को कलाई पर सजाएंगे। भले ही दूर रहेंगे लेकिन उनके बीच का प्यार व अपनत्व कभी कम नहीं होगा।