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भाजपा अध्यक्ष पद के लिए 55 दावेदारों ने ठोंकी ताल

भाजपा जिलाध्यक्ष पद को लेकर बुधवार को जोरई स्थिति जिला कार्यालय पर भारी गहमागहमी रही। इस दौरान अध्यक्ष पद के लिए 55 दावेदारों ने जहां नामांकन कर ताल ठोंकी तो वहीं प्रदेश परिषद के लिए 24 ने पर्चा दाखिल किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 07:25 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:05 AM (IST)
भाजपा अध्यक्ष पद के लिए 55 दावेदारों ने ठोंकी ताल
भाजपा अध्यक्ष पद के लिए 55 दावेदारों ने ठोंकी ताल

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर(भदोही): भाजपा जिलाध्यक्ष पद को लेकर बुधवार को जोरई स्थित जिला कार्यालय पर भारी गहमागहमी रही। इस दौरान अध्यक्ष पद के लिए 55 दावेदारों ने जहां नामांकन कर ताल ठोंकी तो वहीं प्रदेश परिषद के लिए 24 ने पर्चा दाखिल किया। सुरक्षा के लिए पुलिस और पीएसी लगा दी गई थी। निर्वाचन अधिकारी देवेंद्र यादव ने सभी नामांकन पत्रों पर नई गाइडलाइन के अनुसार प्रस्तावकों का दस्तखत कराया। बताया कि पार्टी नेतृत्व को रिपोर्ट भेजी जाएगी। नामों की घोषणा शीर्ष नेतृत्व की ओर से ही की जाएगी।

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संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया के तहत मंडल अध्यक्ष और जिला प्रतिनिधि के चुनाव के बाद जिलाध्यक्ष पद के लिए तिथि जारी होते ही जिले में घमासान मच गया था। मंडल अध्यक्ष और जिला प्रतिनिधि को उठाए जाने और अध्यक्ष को धमकी मिलने को लेकर सत्तादल दो दिनों से सियासी गलियारों में सुर्खियों में रही। हंगामे की आशंका को देखते हुए जिला कार्यालय पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी। चुनाव अधिकारी देवेंद्र यादव और सह चुनाव अधिकारी सुमन सिंह समय से ही कार्यालय पहुंच गए थे। नई गाइडलाइन के तहत 55 दावेदारों ने बारी-बारी से नामांकन पत्र चुनाव अधिकारी को सौंपा। इसके साथ ही प्रदेश परिषद के लिए भी 24 दावेदारों ने नामांकन किया। नामांकन पत्रों की जांच करने के बाद वापसी का भी समय दिया गया। किसी दावेदार ने अपने नामांकन पत्र को वापस नहीं लिया। इसके पश्चात चुनाव अधिकारी ने जिला प्रतिनिधि और मंडल अध्यक्षों के साथ बैठक कर सभी नामांकन पत्रों पर प्रस्तावक के रूप में दस्तखत करवाए।

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नामांकन सभा में भावुक हो गए अध्यक्ष

भाजपा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन चल रहा था। अध्यक्ष हौसिला प्रसाद पाठक ने भी दूसरी बार दावेदारी की है। चुनाव के दौरान हर एक कार्यकर्ता और पदाधिकारी से मिलते रहे। वह रह-रह भावुक भी हो जा रहे थे। उनके भाव को देख कर अंदाजा लगाया जा रहा था कि शीर्ष नेतृत्व दूसरी बार उन्हें जिले की कमान नहीं सौंपेगा। हालांकि उनका पूरा विश्वास है कि तीन साल के कार्यकाल में पार्टी को ऊचाईयों में पहुंचाया गया। पूरे देश में पार्टी कार्यक्रम को लेकर भदोही नंबर वन पर तो संगठनात्मक कार्यों को लेकर प्रदेश में दूसरे स्थान पर रही है।

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ताक पर रही गाइडलाइन

शीर्ष नेतृत्व ने स्पष्ट रूप से गाइडलाइन जारी किया था कि नामांकन के समय सांसद और विधायक उपस्थित नहीं रहेंगे। इसके बाद भी एक माननीय की उपस्थिति को लेकर तरह-तरह सवाल किए जा रहे थे। इस बीच हंगामा के बाद उन्हें कार्यालय से जाना पड़ गया। चुनाव अधिकारी देवेंद्र यादव का कहना है कि चुनाव के समय कोई भी माननीय नहीं थे। चुनाव संपन्न होने के बाद कोई आया होगा। आखिर वह भी तो भाजपा कार्यकर्ता ही है।


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