50 फीसद से अधिक उपभोक्ता नहीं करा रहे गैस की रीफि¨लग
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी उज्जवला योजना इंडियन आयल के गले का फांस बन गई है। शासन के फरमान के अनुसार थोक के हिसाब से नि:शुल्क कनेक्शन तो वितरित किया गया लेकिन अधिकतर लाभार्थी सिलेंडर की रिफ¨लग नहीं करा रहे हैं जो गंभीर ¨चता का विषय बना है। इसके लिए एजेंसी संचालक अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं लेकिन इसका अधिक प्रभाव देखने को नही मिल रहा है।
जागरण संवाददाता, भदोही : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना इंडियन ऑयल के गले का फांस बन गई है। शासन के फरमान के अनुसार थोक के हिसाब से नि:शुल्क कनेक्शन तो वितरित किया गया लेकिन अधिकतर लाभार्थी सिलेंडर की रीफि¨लग नहीं करा पा रहे हैं जो गंभीर ¨चता का विषय बन गया है। इसके लिए एजेंसी संचालक अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं लेकिन इसका अधिक प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है।
गृहिणियों को धुएं के दुष्प्रभाव से मुक्ति दिलाने तथा हर रसोई को गैस चूल्हा व सिलेंडर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासन के फरमान के अनुसार हजारों लोगों को मुफ्त में गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। एजेंसियों के माध्यम से पात्रों को कैंप लगाकर गैस चूल्हा सहित अन्य सामान फ्री में वितरित किया गया लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि अधिकतर लाभार्थी कनेक्शन लेने के बाद पलट कर फिर एजेंसी नहीं आए। भदोही गैस एजेंसी के संचालक डा. विनोद कुमार सोनकर के अनुसार 50 फीसद से अधिक लाभार्थी रीफि¨लग नहीं करा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए इंडियन ऑयल का भारी दबाव है तथा लोगों को जागरूक करने तथा हर हाल मे गैस रीफि¨लग कराने का बार-बार आदेश दिया जा रहा है। उक्त योजना के तहत 11 कनेक्शन वितरित करने वाले श्री सोनकर का कहना है कि एक एनजीओ के सहयोग से उन्होंने नईबाजार सहित कई स्थानों पर पिछले दिनों कैंप लगाकर लाभार्थियों को जागरूक करने का प्रयास किया लेकिन इसका अधिक लाभ नहीं मिला। उज्ज्वला योजना के तहत जनपद की दो दर्जन से अधिक एजेंसियों के माध्यम से एक लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया गया है लेकिन इसमें 30 से 40 फीसद उपभोक्ता ही रीफि¨लग करा रहे हैं जबकि पांच से दस फीसद तीन महीने में कराते हैं। श्री सोनकर के अनुसार 30 से 40 फीसद ऐसे लाभार्थी हैं जिन्होंने एक बार भी रीफि¨लग नहीं कराई है।
ऐसी स्थिति में एजेंसी संचालकों के सामने भी समस्या उत्पन्न हो रही है। उनका कहना है कि बार-बार कहने के बावजूद रीफि¨लग न कराने वालों का कनेक्शन बंद करने पर भी कंपनी विचार कर सकती है। क्यूं नहीं करा हैं रीफि¨लग
योजना के तहत अधिकतर लाभ बेहद गरीब तबके को दिया गया है। ऐसे लोग किसी तरह से मेहनत-मजदूरी कर पेट पालने वाले हैं। ऐसे में उनके लिए साढ़े नौ सौ रुपये में रीफि¨लग कराना टेढ़ी खीर है। यही कारण है कि कुछ लोग चाहकर भी गैस का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। एजेंसी का मानना है कि सब्सिडी के पैसे उनके खाते में वापस हो जाएंगे लेकिन गैस लेने के लिए उन्हें पहले साढ़े नौ सौ रुपये देना ही पड़ेगा।