पूर्वांचल में कांग्रेस को फर्श से अर्श पर ले जाने की कोशिश
तैयारी: - लोस और विस चुनाव में जमानत भी नहीं बचा पाई थी पार्टी - गंगा के लहरों से वोटरों को साधे
तैयारी:
- लोस और विस चुनाव में जमानत भी नहीं बचा पाई थी पार्टी
- गंगा के लहरों से वोटरों को साधेंगी प्रियंका गांधी, फूंकेंगी जान महेंद्र दुबे
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प्रयागराज की सरजमी से यूपी फतह करने निकलीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का प्रयास कितना सफल होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इसके पहले हुए उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे का पुराना राजनीतिक रिकार्ड सकारात्मक नहीं रहा है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जमानत बचाने को कौन कहे, पार्टी अपना न्यूनतम जनाधार तक नहीं बचा पाई थी। सियासी हालात को बदलते देख वह गंगा के लहरों से वोटरों को साधने निकली हुई हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रयाग से काशी तक उनका यह दौरा पूर्वांचल में फर्श पर पहुंची पार्टी को अर्श पर लाने की कोशिश है।
अकेले कालीन नगरीय की सीटों को देखा जाए तो विधानसभा चुनाव 2012 से पहले राहुल गांधी ने वर्ष 2010 में पूर्वांचल के गरीबों की झुग्गियों में पहुंच कर लोगों का नब्ज टटोली थी। जगह-जगह रुककर चाय की चुस्कियों के संग दुकानों पर लोगों से सीधा संवाद किया था तो वहीं चंद्रपुरा और वेदपुर में चौपाल लगाकर किसानों के हाल को भी जाना था। यह बात उस दौर की हो रही है जब कांग्रेस केंद्र की सत्ता में काबिज थी। लोगों को भरोसा था कि गरीबों से सीधा संवाद कर राहुल दिल्ली गए हैं तो निश्चित रूप से इसका कुछ न कुछ ठोस परिणाम भी सामने आएगा और झुग्गियों की तस्वीर बदल जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका। भ्रमण के धीरे-धीरे दो वर्ष बीत गए। विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई लेकिन गरीबों की झोली खाली रह गई। वर्ष 2012 में भी राहुल यहां आकर चुनावी सभा को भी संबोधित किए थे। रिकार्डों पर गौर किया जाय तो विधानसभा चुनाव में औराई विधान सभा में कांग्रेस के राजदेव पासी को 5196 मत प्राप्त हुए थे जबकि ज्ञानपुर में कमलेश कुमार को मात्र 2072 और भदोही में तनवीर को 8637 मत। यही नहीं लोकसभा चुनाव 2014 में भी जिले में कांग्रेस की स्थिति बहुत ही खराब रही। कांग्रेस प्रत्याशी सरताज इमाम को महज 22 हजार 569 वोट मिले थे। एक बार फिर राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्वांचल प्रभारी कांग्रेस को संजीवनी देने की कोशिश की है। इस बार उन्होंने यूपी को फतह करने के लिए गंगा की दयनीय स्थिति और तटवर्ती क्षेत्रों की हालात को मुद्दा बनाने में जुटी हुई है। कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि केंद की भाजपा सरकार गंगा की सफाई के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है। इसके साथ ही तटवर्ती क्षेत्रों के गांवों को खुले को शौच मुक्त करने के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया गया है लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पूर्वांचल प्रभारी इसकी हकीकत देख कर सरकार की पोल खोलेंगी। जानकारों का कहना है कि प्रियंका गंगा में जल यात्रा कर हिदुत्व का भी संदेश देना चाहती हैं।