साहब की नजरों से बचने के लिए चमकाने लगे दफ्तर
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सीएम के दूत एवं जनपद के नोडल अधिकारी अनिल कुमार के आगमन को लेकर
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सीएम के दूत एवं जनपद के नोडल अधिकारी अनिल कुमार के आगमन को लेकर कोई अपने दफ्तर को चमकाने में जुटा है तो कोई फाइल को दुरस्त कर साहब के नजरों से बचने की कवायद शुरू कर दिया है। आलम यह है कि अभी तक गंदगी से बजबजा रहे लोक निर्माण विभाग की भी नींद खुल गई और सहायक और अवर अभियंता अवकाश में भी पूरे दिन लग कर परिसर की सफाई कराई। यही नहीं दीवारों के रंग रोगन करने से भी पीछे नहीं हटे। आखिरकार इधर से गुजर रहा एक शख्स की जुबान खुल ही गई कि अभी तक बजट नहीं था लेकिन प्रमुख सचिव के निरीक्षण का फरमान क्या आ गया कि वातानुकूलित कक्ष में रहने वाले इंजीनियर साहब उमस और गर्मी के बीच पसीना पोंछते हुए सफाई कार्य करवाने में जुटे रहे।
जनपद के नोडल अधिकारी अनिल कुमार दो दिवसीय भ्रमण के लिए दस ¨सतबर को जिले में आ रहे हैं। उनके आगमन को लेकर अफसरों की धड़कन बढ़ गई है। अधिकारी अपने-अपने दफ्तर में आंकड़ों को ठीक करने में जुटे रहे। आजादी पर्व पर जनपद में भ्रमण पर आए नोडल अधिकारी पूरी तरह जनपद के लोगों से घुल-मिल गए थे। राजकीय इंटर कालेज में बच्चों के अलावा खुद केशवपुर सरपतहां से जिला मुख्यालय तक दौड़ भी लगाए थे। साथ ही अधिकारियों को जीवन के गूढ़ रहस्यों से भी परिचय कराया था। एक बार फिर प्रमुख सचिव का दो दिवसीय भ्रमण पर आगमन हो रहा है। उनके आगमन को लेकर प्रशासनिक तैयारी शुरू कर दी गई। प्रोटोकाल के अनुसार सुबह दस बजे उनका आगमन राजस्व अतिथि गृह में होगा। 10.30 से 11.30 बजे अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग ज्ञानपुर कार्यालय का निरीक्षण, इसके पश्चात ज्ञानपुर तहसील कार्यालय का निरीक्षण, दोपहर बाद दो बजे से औराई के एक गांव में चौपाल का आयोजन किया जाएगा। दूसरे दिन नगर पंचायत और नगर पालिका परिषद का निरीक्षण और विकास कार्यक्रमों की समीक्षा और दो परियोजनाओं का निरीक्षण करेंगे।
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नहीं दिखाई पड़ते हैं सड़कों पर मेठ
- लोक निर्माण विभाग में सड़कों की सुरक्षा और साफ-सफाई के लिए मेठ और अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। वर्तमान समय में भी दर्जन भर से अधिक कर्मचारी तैनात है। सरकारी खजाना खाली कर रहे हैं लेकिन सड़कों पर दिखाई नहीं देते हैं। एक मेठ तो ऐसे हैं जिन्हें उनके क्षेत्र का पता ही नहीं है। अधिकारी भी उनके खिलाफ कुछ बोलने से कतराते हैं। किसी ने हिम्मत भी जुटाई तो मेठ पूरे जनपद के सरकारी दफ्तरों में ताला बंद करा देंगे। खुद तो ड्यूटी करते नहीं और सरकार को उखाड़ फेंकने की धमकी देने से बाज नहीं आते हैं।