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बगैर जांच के चालान, जेल में पहुंचाया कोरोना

जेल में जांच कराने पर एक बंदी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। चालान के पहले उसका जांच नहीं कराया गया। जेल अधिकारी ने बताया कि शांतिभंग के आरोप में उसे जेल भेजा गया था। लक्षण मिलने पर दो जुलाई को बंदी के स्वैब की जांच कराई गई। पांच जुलाई को आई रिपोर्ट में वह कोरोना संक्रमित मिले। ऐसे लोगों के सीधे संपर्क में आने से जेल परिसर में अन्य बंदी व कर्मी कोरोना की चपेट में आ गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 05:04 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 05:04 PM (IST)
बगैर जांच के चालान, जेल में पहुंचाया कोरोना
बगैर जांच के चालान, जेल में पहुंचाया कोरोना

जेल में जांच कराने पर एक बंदी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। चालान के पहले उसकी जांच नहीं करायी गयी। जेल अधिकारी ने बताया कि शांतिभंग के आरोप में उसे जेल भेजा गया था। लक्षण मिलने पर दो जुलाई को बंदी के स्वैब की जांच कराई गई। पांच जुलाई को आई रिपोर्ट में वह कोरोना संक्रमित मिले। ऐसे लोगों के सीधे संपर्क में आने से जेल परिसर में अन्य बंदी व कर्मी कोरोना की चपेट में आ गए। गोपीगंज थाने के लालानगर जखांव निवासी आशीष मिश्रा का गांव के दूसरे पक्ष से मामूली विवाद था। कोतवाली पुलिस मामले को मौके पर सुलझाने के बजाए उलझा दिया। विवाद बढ़ने पर सबसे आसान फंडा अपनाकर पुलिस ने शांति भंग के आरोप में 19 जुलाई को चालान कर दिया। जेल प्रशासन ने बताया कि चालान के पहले थाना स्तर से आरोपित का स्वैब जांच नहीं कराया गया।

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दुर्गागंज थाना में दयाराम बिद को शांतिभंग के आरोप में 24 जुलाई को चालान कर जेल भेजा गया। जबकि जेल अधिकारियों की मानें तो निर्धारित अवधि के भीतर तक थाने में बंद व शांति भंग की कार्रवाई कर दोनों पक्षों को हिदायत देकर प्रकरण का समाधान किया जा सकता था। लेकिन ऐसा न कर बगैर कोरोना की जांच कराए जेल भेज दिया गया।

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जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : यह मामले तो सिर्फ बानगी भर है, दरअसल बगैर जांच चालान किये जाने के कारण कोरोना का संक्रमण जिला कारागार में फैला दिया गया है। जेल अधिकारियों की मानें तो थाना स्तर से कोरोना संक्रमण की जांच नहीं कराए जाने से बंदियों व जेल कर्मियों में कोरोना संक्रमण फैल रहा है। पहले से ही क्षमता से बहुत अधिक बंदी होने पर सामान्य मामलों में भी जेल भेजे जाने पर बंदियों का बोझ कारागार प्रशासन पर बढ़ रहा है। जिला कारागार में बंदी क्षमता 114 है। लेकिन इस समय तीन गुना बंदी रखे गये हैं। इसके चलते जिला जेल में सात बंदी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। संक्रमितों में एक शांतिभंग का आरोपी है। जबकि दो आजीवन कारावास, एक नियत अवधि तक कारावास के कैदी व तीन न्यायालय में विचाराधीन बंदी शामिल हैं।

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- बगैर कोरोना जांच कराए आरोपितों को जेल भेज दिया जाता है। जिससे कागजी प्रक्रिया व आरोपित की शारीरिक जांच किया जाना जरूरी है। जिससे जेल कर्मी को संक्रमित होने की संभावना अधिक है। जांच के बाद भेजने पर कोरोना संक्रमण के जेल परिसर में फैलाव पर काफी हद तक नियंत्रण हो सकता है।

- नीलम शर्मा, डिप्टी जेलर, जिला कारागार भदोही


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