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बीस साल बाद भी इलाज के लिए भटक रहे कैंसर के मरीज

जनपद सृजन को बीस साल बीत गए लेकिन कैंसर से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए कोई सुविधा तैयार नहीं की जा सकी। जांच केंद्र न होने के कारण चिकित्सक इलाज के पहले ही इलाहाबाद और लखनऊ के लिए रेफर कर देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 10:10 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 06:02 AM (IST)
बीस साल बाद भी इलाज के लिए भटक रहे कैंसर के मरीज
बीस साल बाद भी इलाज के लिए भटक रहे कैंसर के मरीज

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर(भदोही): जनपद सृजन को बीस साल बीत गए लेकिन कैंसर से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए कोई सुविधा तैयार नहीं की जा सकी। जांच केंद्र न होने के कारण चिकित्सक इलाज के पहले ही इलाहाबाद और लखनऊ के लिए रेफर कर देते हैं। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इलाज के अभाव में प्रत्येक साल दर्जन भर से अधिक की मौत हो जाती है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के पास इस तरह के कोई रिकार्ड नहीं हैं।

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वैज्ञानिक युग में जहां गंभीर बीमारियों के इलाज से निजात दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं तो जिले में अभी तक कैंसर इलाज की कोई सुविधा तैयार नहीं की जा सकी है। माननीयों की ओर से कैंसर पीड़ितों को दी गई सहायता के रिकार्ड पर गौर किया जाए तो तीनों विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष दो सौ से अधिक लोगों को इलाज के लिए धन आवंटित किए जाते हैं। इसमें सर्वाधिक मरीज कैंसर से पीड़ित होते हैं। जिले के मरीजों का इलाज वाराणसी स्थित रेलवे कैंसर हास्पिटल जाना होता है। इसके अलावा मुंबई और दिल्ली में इलाज के लिए भटकना होता है। हद तो तब हो जाती है जब स्वास्थ्य विभाग कैंसर से पीड़ित मरीजों की आंकड़ा भी नहीं इकट्ठा कर सका। मुख्य चिकित्साधिकारी सतीश सिंह का कहना है कि जिले में कैंसर मरीजों के इलाज के लिए कोई सुविधा नहीं है।

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कैंसर से डरें नहीं, लड़ें कैंसर से बहुत ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। जानकारों का कहना है कि कैंसर के 90 फीसद से ज्यादा मरीजों को फस्ट स्टेज में इलाज हो सकता है। सेकंड स्टेज पर 70 फीसद जबकि तीसरे चरण में चालीस फीसद और चौथे चरण में दस फीसद इलाज किया जा सकता है। कैंसर को गंभीर लेकिन काबू में आने लायक बीमारी माना जाता है। दूसरे गंभीर रोगों की तरह दवाओं से कई साल तक काबू में रखा जा सकता है।

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कैंसर होने के मुख्य कारण-:

- उम्र का बढ़ना

- किसी भी प्रकार का इरिटेशन

- तंबाकू का सेवन

- विकिरणों का प्रभाव

- शराब का सेवन

- इन्फेक्शन

- मोटापा

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कैंसर से बचने के उपाय-

- अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बना रहे हैं जो पैपिलामा वायरस से प्रभावित है तो आप भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। इसलिए ऐसे व्यक्तियों से शारीरिक संबंध बनाने से बचें।

- ज्यादा से ज्यादा पत्तेदार सब्जियां, चना और फल खाने की कोशिश करें। सब्जियों और फलों में फाइबर मौजूद होता है जो रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है।

- शक्कर का सेवन कम से कम करें।

- खाने का तेल इस्तेमाल करने से पहले यह देख लें कि आप जो तेल खाने जा रहे हैं वह स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है।

- जहां तक संभव हो इलेक्ट्रानिक चीजों का इस्तेमाल कम ही करें।

- गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल लंबे समय तक न करें। गर्भनिरोधक के ज्यादा लंबे समय तक प्रयोग करने से औरतों में स्तन कैंसर या लीवर कैंसर होने का खतरा रहता है।


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