बजट हो रहा आम तो खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर लगे लगाम
केंद्र सरकार की ओर से फरवरी में पेश किए जाने वाले आम बजट को लेकर चर्चाओं का बाजार तेज हो उठा है। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था के बीच आम से लेकर खास तक माने जाने वाला हर वर्ग बजट से
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : केंद्र सरकार की ओर से फरवरी में पेश किए जाने वाले आम बजट को लेकर चर्चाओं का बाजार तेज हो उठा है। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था के बीच आम से लेकर खास तक माने जाने वाला हर वर्ग बजट से कुछ न कुछ राहत पाने की आस लगाए बैठा है। बजट में क्या खास होगा, किसकी आस पूरी होगी या कौन रहा निराश होगा यह तो बजट प्रस्तुत होने के बाद ही पता चलेगा। इसके बाद ही पता चल पाएगा कि वित्तमंत्री का पिटारा किसके लिए राहत लेकर आएगा किसको मायूसी का सामना करना पड़ेगा लेकिन लोगों की उम्मीदें जवां हैं। विशेषकर रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली आम वस्तुओं यथा खाद्य सामग्री, ईंधन से लेकर सब्जियों तक की आसमान छू रही कीमतों गृहणियां महंगाई पर लगाम लगाने की आस लगाए बैठी हैं।
गृहणियों का मानना है कि सरकार को बजट के माध्यम से खाद्य सामग्रियों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने का प्रावधान करना चाहिए, जिससे कम से कम गरीब व मध्यम वर्ग तक के लोगों को दो वक्त का भोजन आसानी से मिल जाय। साथ ही जीविकोपार्जन कर सकें।
हो भी क्यों न, मौजूदा समय में ही देखा जाय तो रसोईं की रोजमर्रा में शामिल अरहर दाल जहां सौ रुपये किलो बिक रही है तो चना, मटर ऊर्द, मसूर की दालें भी 50 से 100 के बीच होकर गरीबों की पहुंच से बाहर ही कही जाएंगी। सब्जियों की महंगाई से तो हर कोई वाकिफ है। प्याज व लहसुन ने तो इस बार ऐसा ताव दिखाया कि लोगों की रसोईं से किनारा कर लिया। गरीबों की सब्जी कही जाने वाली आलू अब भी 18 से 20 रुपये किलो बिक रही है तो अन्य सब्जियां भी लोगों की पहुंच से बाहर है। इसी तरह तेल-मसाला व अन्य खाद्य सामग्री भी गृहणियों को रुलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
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क्या बोलीं गृहणियां
- महंगाई ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। खाद्य सामग्री के दामों तो जैसे आग लग गई हो। गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों की नींद उड़ चुकी है। कैसे दो वक्त रसोईं में भोजन तैयार हो लोग समझ नहीं पा रहे हैं। पांच से दस हजार माह कमाने वाले परिवारों के लिए घर चलाना पूरी तरह मुश्किल हो चुका है। सरकार को चाहिए की बजट में कुछ ऐसा करे जिससे महंगाई पर प्रभावी अंकुश लग सके।
- चित्र.7--उषा पाल
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- इस महंगाई के चलते घर चलाना मुश्किल हो गया है। पहले दाल की महंगाई से बचने के लिए लोग आलू व अन्य सब्जियों से काम चलाते रहे थे। अब दशा यह है कि आलू भी 20 रुपये किलो से नीचे आने का नाम नहीं ले रही है। कैसे घर परिवार चले कुछ समझ में नहीं आ पा रहा है। बजट में खाद्य सामान की महंगाई पर यदि अंकुश लगता है तो गरीबों को राहत मिलेगी।
- चित्र.8--कांती देवी
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- और तो और सब्जियों के दाम में तो आग लग चुकी है। कोई सब्जी ऐसी नहीं दिख रही है, जिसे खरीदने में सोचना न पड़े। अब तो गृहस्थी की गाड़ी को चलाना मुश्किल होता जा रहा है। केंद्र सरकार बजट लाने की तैयारी में है। ऐसे में मेरी प्राथमिकता तो यही है कि सरकार को ऐसा प्रावधान करना चाहिए जिससे महंगाई पर लगाम लगे। लोग अच्छे से अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें।
चित्र.9--सुदामा
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- खाद्य वस्तुओं की महंगाई तो महिलाओं के सामने विकट स्थिति खड़ी कर दी है। दाल, चावल से लेकर तेल-मसाला तक में महंगाई की आग लगी है। रसोईं में क्या बनाएं अब तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। पर्व व त्योहारों पर तो लोगों को सोचना पड़ रहा है कि कैसे स्वादिष्ट व्यंजन तैयार हो सकें। अब बजट आ रहा है तो मेरी सबसे बड़ी अपेक्षा यही है कि इसके जरिए महंगाई पर अंकुश लगे।
चित्र.10--साधना