बारिश ने रोके कालीन मजदूरों के हाथ
शहर के मध्य स्थित फकीर सेठ का लंबा चौड़ा अहाता कुछ दिनों तक उक्त अहाते के एक बड़े भाग पर कालीनों के काम होते थे। लेटेक्सिग व टेढ़ा लगाने वाले दिन भर पसीना बहाते देखे जाते थे लेकिन इस समय उक्त अहाता पानी पानी हो गया है। कालीन कार्य करने वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे मौसम का खुलने का इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह बंधवा मोहल्ले स्थित खुला मैदान भी इन दिनों जलजमाव की जद में है। वहां भी बड़ी संख्या में मजदूर कालीन कार्य किया करते थे। मौसम की गंभीरता के चलते टेढ़ा व लेटेक्सिग का काम करने वाले दो हजार से
जागरण संवाददाता, भदोही : शहर के मध्य स्थित फकीर सेठ का लंबा चौड़ा अहाता जहां कुछ दिनों पहले तक एक बड़े भाग पर कालीनों के काम होते थे। लेटेक्सिग व टेढ़ा लगाने वाले दिन भर पसीना बहाते देखे जाते थे लेकिन इस समय उक्त अहाता पानी-पानी हो गया है। कालीन कार्य करने वाले हाथ पर हाथ धर बैठे मौसम का खुलने का इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह बंधवा मोहल्ला स्थित खुला मैदान भी इन दिनों जल जमाव की जद में है। वहां भी बड़ी संख्या में मजदूर कालीन कार्य किया करते थे। मौसम की गंभीरता के चलते टेढ़ा व लेटेक्सिग का काम करने वाले दो हजार से अधिक मजदूरों का काम-काज इन दिनों प्रभावित है। करीब दो हजार मजदूर व बुनकरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो चुकी है।
मानसून की आमद तथा बारिश शुरू होने से किसानों की चिता कम हुई है। उमस व गर्मी से भी राहत मिली है लेकिन कालीन उद्योग से जुड़े मजदूरों के लिए बारिश अभिशाप साबित हो रही है। कारण है कि कालीन बुनाई से लेकर फिनिशिग तक के लगभग सभी काम ठप हैं। यहां तक कि कालीनों की वाशिग व काती डाइंग का काम भी ठप है।
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और गंभीर होगा संकट
- चार दिन से रह-रहकर हो रही बारिश के कारण कालीन संबंधी आउटडोर कार्य ठप हो गए हैं। मैदानों में जलभराव होने के कारण टेढ़ा व लेटेक्सिग लगाने वाले सैकड़ों मजदूर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जबकि वाशिग, डाइंग सहित अन्य काम-काज भी प्रभावित हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि मौसम का यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो जाएगा।
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पिछड़ सकता है आर्डर
- एकमा के मानद सचिव शाहिद हुसैन अंसारी का कहना है कि कालीनों के बुनियादी कार्य ठप होने से आर्डर लेट होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। बताया कि अभी तो अधिक दिक्कत नहीं लेकिन एक सप्ताह तक यही हाल रहा तो कुछ निर्यातकों के आर्डर पिछड़ सकते हैं। आर्डर पूरा करने में देरी होने पर अक्सर भुगतान का संकट उत्पन्न हो जाता है।