रोपण संग संरक्षण का प्रयास, जगेगी हरियाली की आस
स्वच्छ व संतुलित पर्यावरण से ही स्वस्थ जीवन की कल्पना की जा सकती है। पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए दवा शुद्ध हवा व आक्सीजन सहित मानव जीवन की तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले पेड़ पौधों व वनस्पतियों को लगाना होगा। पर्यावरण संरक्षण की इस अवधारणा को आत्मसात कर हर वर्ष पौधारोपण का अभियान चलाया जाता है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : स्वच्छ व संतुलित पर्यावरण से ही स्वस्थ जीवन की कल्पना की जा सकती है। पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए दवा, शुद्ध हवा व आक्सीजन सहित मानव जीवन की तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले पेड़, पौधों व वनस्पतियों को लगाना होगा। पर्यावरण संरक्षण की इस अवधारणा को आत्मसात कर हर वर्ष पौधारोपण का अभियान चलाया जाता है। मौजूदा वर्ष में भी रविवार को वन महोत्सव के तहत अभियान चलाकर लाखों पौधे रोप दिए गए। सवाल यह खड़ा होता है कि क्या पौधों के रोपण मात्र से हरियाली लौटेगी तो नहीं, इसे प्रभावी करने के लिए हमें पूरी गंभीरता के साथ इनके संरक्षण का भी प्रयास करना होगा। तभी पौधों के रोपण की सार्थकता सिद्ध होगी तो धरती पर हरियाली लौटेगी।
प्रति दिन एक पौध लगाने का संकल्प लेकर निकले पर्यावरण प्रहरी के रूप में लगातार रविवार को 1000वें दिन पौधों का रोपण करते हुए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक अशोक कुमार गुप्त ने कहा कि प्रभावी पौधरोपण को बढ़ावा देने के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गंभीर होना होगा। अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। पौधारोपण मात्र दिखावे व सेल्फी लेने के लिए नहीं होना चाहिए। पौधा तभी लगाना चाहिए जब उसका संरक्षण करें। जिस दिन इस उद्देश्य के साथ लोग पूरे मन से पौधारोपण करने उतरेंगे तो हरियाली को लौटते देर नहीं लगेगी। इसी तरह शादी, जन्मदिन से लेकर अन्य मांगलिक कार्यों के दौरान पौधारोपण कराने के मिशन में लगे देवनाथपुर निवासी विद्याधर मौर्य ने कहा कि पौधों को यादगार के रूप में लगाने का प्रयास करना चाहिए। जैसे शादी के दिन वर-वधु जब पौध लगाएंगे और उसका संरक्षण करेंगे तो जब भी वह उसे पुष्पित व पल्लवित होते देखेंगे तो उन्हें उस पल की याद ताजा होती दिखेगी। इसके साथ ही शासन-प्रशासन के स्तर पर अभियान के तहत लगाए जाने वाले पौधों के संरक्षण, सिचाई आदि को लेकर भी गंभीरता दिखानी होगी। फलदार व उपयोगी पौधों का रोपण करना होगा। निश्चित ही हरियाली लौटती दिखेगी।