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चार माह बाद भी दोषी अधिकारियों पर नहीं हुई कार्रवाई

कोतवाली क्षेत्र के लखनो गांव के पास स्कूल वैन में लगी आग से झुलसे बच्चों की जिदगी पर भले ही बदनुमा दाग लग गया लेकिन परिवहन और शिक्षा विभाग के दोषी अधिकारी पाक साफ बचते दिख रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 06:46 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 06:23 AM (IST)
चार माह बाद भी दोषी अधिकारियों पर नहीं हुई कार्रवाई
चार माह बाद भी दोषी अधिकारियों पर नहीं हुई कार्रवाई

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): कोतवाली क्षेत्र के लखनो गांव के पास स्कूल वैन में लगी आग से झुलसे बच्चों की जिदगी पर भले ही बदनुमा दाग लग गया, लेकिन परिवहन और शिक्षा विभाग के दोषी अधिकारी पाक साफ बचते दिख रहे हैं। ऐसे में जिलाधिकारी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट पर भी सवाल उठना लाजिमी है। हादसे के चार माह गुजर गए लेकिन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी तो वहीं अमान्य विद्यालयों को लाइसेंस देने का खेल शुरू हो गया है।

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लखनो गांव के सामने 12 जनवरी को स्कूल वैन में गैस रिसाव से लगी आग से उन्नीस बच्चे झुलस गए थे। इस मामले में परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग और खाद्य एवं रसद विभाग ने अलग-अलग तहरीर देकर वाहन स्वामी अशोक कुमार दुबे निवासी गोसाईपुर, वाहन चालक मनोज कुमार यादव निवासी इब्राहिमपुर, स्कूल प्रबंधक सुशील कुमार दुबे निवासी दुलहीपुर और प्रधानाचार्य कंचन देवी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। हादसे में झुलसे तीन बच्चों की मौत हो गई। इसके अलावा जो बच्चे वर्तमान समय में सुरक्षित बचे हैं उनका चेहरा विभत्स हो गया है। गरीब परिवार होने के कारण बच्चों का प्लास्टिक सर्जरी भी नहीं हो पा रही है। मुख्यमंत्री के सख्त तेवर के बाद जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने दोषी परिवहन विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ शासन को भेजी है। धीरे-धीरे चार माह से अधिक का समय बीत गया लेकिन अभी तक दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है।

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घटना के बाद अमान्य विद्यालयों को दे दी मान्यता

शासन की ओर से दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से बेधड़क होकर अमान्य विद्यालयों को लाइसेंस जारी किया जा रहा है। गुपचुप तरीके से अब तक 75 काले विद्यालयों को सफेद किया जा चुका है। नियमों और गाइडलाइन को ताक पर रखकर लाइसेंस दे दिया गया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उन्हीं विद्यालय को मान्यता दे दिया जिनको बार-बार अमान्य होने की नोटिस दी गई थी। अर्थदंड की कार्रवाई किए बगैर मान्यता दे दिया गया। अधिकारियों ने सरकार को 75 लाख रुपये का चूना लगाया है।


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