एडीजी का फरमान फेल, पशु तस्कर फिर बिछाने लगे जाल
हाइवे पर धड़ल्ले से की जा रही पशु तस्करी का गोरखधंधा पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी परिक्षेत्र के कड़े तेवर के बाद भी पशु तस्कर एक बार फिर से हाइवे पर जाल बिछाने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : हाइवे पर धड़ल्ले से की जा रही पशु तस्करी का गोरखधंधा पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी परिक्षेत्र के कड़े तेवर के बाद भी पशु तस्कर एक बार फिर से हाइवे पर जाल बिछाने लगे हैं। लग्जरी वाहनों के निगहबानी में ट्रकों से बेधड़क पशु तस्करी की जा रही है। इस कारोबार में पुलिस के लोग भी पर्दा के पीछे से संरक्षण दे रहे हैं।
जीटी रोड पर मवेशियों की तस्करी कोई नई बात नहीं है। कई वर्षों से संचालित काले कारोबार से हाइवे पर स्थित थाना स्टेशन अफसरों की चांदी कटती है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि शुरुआती दौर में तस्करों ने सफेदा (गोवंशी) और ब्लैक डायमंड (महिषवंशी) आदि कोड से पुकारते थे। मैनपुरी आदि से ब्लैक डायमंड और पश्चिम बंगाल, बिहार से गोवंशी मवेशियों की तस्करी की जाती है। जीटी रोड पर प्रतिदिन चालीस से अधिक ट्रकों से मवेशियों की तस्करी होती थी। पिछले साल सिपाही हत्याकांड का मुख्य आरोपी मुजफ्फर और चांद बाबू नाम के पशु तस्कर आमने-सामने थे। दोनों की गुटबाजी इस कदर थी कि कारोबार को लेकर एक दूसरे की शिकायत करने लगे। पुलिस भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। गैंगेस्टर आदि की कार्रवाई कर आर्थिक चपत भी लगाई। जमानत पर रिहा होते ही चांद बाबू की टीम एक बार फिर सक्रिय हो गई थी। बीच में एडीजी के कड़े तेवर पर पशु तस्करी पर अंकुश लग गया था लेकिन इधर एक बार फिर कारोबार शुरू हो गया है।
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पुलिस महकमा का दावा
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पशु तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा जाती है। गोवंशी मवेशियों की तस्करी करने वालों के खिलाफ गो-हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की जाती है। अब तक कई तस्करों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। पशु तस्कर मुजफ्फर की तो बेशकीमती संपत्ति जब्त भी की जा चुकी है।