कालाबाजारी के लिए रखी 90 कार्टून सरकारी दवा बरामद
सरकारी अस्पतालों में गरीबों के इलाज के लिए आई 90 कार्टून सरकारी दवा कालाबाजारी के लिए रखे नगर के एक निजी मकान से शुक्रवार को बरामद हुई है। स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से मामले को रफा-दफा कर जिम्मेदार लोगों की गर्दन बचाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। काफी प्रयास के बाद भी अधिकारी कुछ बताने से कतराते रहे।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के चार्ज से हटाए गए फार्मासिस्ट आलोक पांडेय के किराए के मकान में कालाबाजारी के लिए रखी गई कोविड-19 की 90 कार्टून सरकारी दवा बरामद किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने बरामद दवा को सीएमओ दफ्तर उठा ले गए। आरोपित स्वास्थ्य कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए अधिकारी मामले को सलटाने में जुटे रहे।
कोरोना महामारी में भी गायब रहे फार्मासिस्ट आलोक पांडेय के खिलाफ 25 मई को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसके पश्चात उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के चार्ज से हटाते हुए एसडीएम के नेतृत्व में गठित टीम ने गोदाम का ताला तोड़ दिया गया था। इसके पश्चात फार्मासिस्ट को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात कर दिया गया था। हटाए जाने के बाद फार्मासिस्ट ने दुस्साहसिक तरीके से कोविड-19 की लाखों की दवा अपने किराए के मकान में रख लिया। गुरुवार को हो स्थानीय लोगों ने डीएम को भवन में अवैध दवा रखने की शिकायत की। डीएम के सख्त तेवर के बाद स्वास्थ्य विभाग फार्मासिस्ट से समझौता कराने में जुट गए। माल को चुपगुप तरीके से सीएमओ दफ्तर ले जाने की योजना बनाने लगे तो मकान मालिक भड़क उठा। उसका कहना था कि किराया देकर ही माल ले जाने देंगे। संज्ञान में आने पर डीएम के निर्देश पर पहुंची पुलिस ने ताला खोलवा कर उसमें रखा 90 कार्टून सरकारी दवा बरामद किया गया। बरामद दवा को सीएमओ दफ्तर ले जाया गया। जहां पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मिलान कराया गया। डीएम राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि वह चार्ज नहीं दिया था। इसी आरोप में उसके खिलाफ कार्रवाई की गई है। इसकी विस्तृत जानकारी सीएमओ ही दे सकती हैं।
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कोरोना माहामारी में करोड़ों का खेल
स्वास्थ्य विभाग में कोरोना महामारी में करोड़ों का खेल हुआ है। कोविड-19 के उपकरण के साथ ही साथ दवा की कालाबाजारी तक का खुला खेल चलता रहा और विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे रहे। लाखों की दवा स्टाक से गायब रहा लेकिन अधिकारियों को इसका पता भी नहीं चला। अहम सवाल यह है कि हटाए जाने के बाद भी लाखों की दवा निजी भवन में क्यों रखी गई थी। अधिकारियों के पास शायद ही इसका जवाब होगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तो पूरी तरह मामले को लीपापोती करने में जुटे रहे।
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...तो बेच दी जाती दवा
ज्ञानपुर नगर स्थित महेंद्र कटरा के नागरिकों ने सूचना न दी होती तो दवा खुले बाजार में बेचने की तैयारी चल रही थी। एक माह पहले ही उसे चार्ज से हटा दिया गया था। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के सांठगांठ से उसे बाजार में बेचने की योजना थी। दुकानदार भी निश्चित कर लिए गए थे। फार्मासिस्ट बस मौके के इंतजार में था।