60 परिवारों ने मांगा कामर्शियल रेट पर मुआवजा
निबंधन विभाग ने तय किया है कि जिसकी जैसी दुकान होगी उसे वैसा ही मुआवजा राशि मिलेगी। मान लीजिये किसी परिवार का मकान या दुकान 50 साल पहले बना हुआ है तो उसे नए मकान के रेट पर मुआवजा बिल्कुल नहीं मिलेगा उसे उसकी मालियत के हिसाब से राशि बांटी जाएगी। बाउंड्रीवाल टीनशेड आरसीसी अथवा गाटर-पटिया वाले मकान या दुकान का अलग-अलग मूल्य निर्धारण किया जाएगा। इसको लेकर प्रशासन और निबंधन विभाग माथापच्ची कर रहा है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर, भदोही : सेतु निगम और राजस्व विभाग के चल रहे ज्वाइंट सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जिन लोगों ने मौके पर टीनशेड ही रख दिया, उन्होंने दुकानें चलाने का दावा ठोंक दिया है। चूंकि जिला प्रशासन छह साल से अधर में फंसे शहर के निर्माणाधीन गजिया फ्लाईओवर की गाड़ी को किसी तरह निकालना चाह रहा है, इसलिए वह मुआवजा मांगने वालों की हर शर्त अक्षरश: मानने के मूड में दिखाई पड़ रहा है। कोई विरोध नहीं करना चाह रहा।
सोच यह रहे हैं कि कहीं उनका विरोध लेने के देने न पड़ जाएं। फिलहाल डीएम राजेंद्र प्रसाद ने मुआवजा राशि वर्ष 2019 के निर्धारित सर्किल रेट पर देने से पहले सब रजिस्ट्रार की राय मांग ली है। अगर उनकी सहमति बनी तो ही मुआवजा राशि प्रशासन परिवारों के खाते में भेजेगा। उधर ज्वाइंट सर्वे में सिर्फ छह परिवार ऐसे सामने आए हैं, जिनकी आवासीय भूमि है जबकि 60 परिवारों ने कामर्शियल रेट पर मुआवजा राशि मांगकर प्रशासन का सिरदर्द बढ़ा दिया है। क्योंकि ऐसी स्थिति में मुआवजा राशि मद में बजट छह करोड़ से बढ़कर साढ़े आठ करोड़ से ऊपर खर्च होगा, इसलिए सेतु निगम के अफसर इन दिनों पेशोपेश में हैं। पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता हीरालाल वर्मा ने बताया कि सेतु निगम को सक्रियता दिखानी चाहिये।
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जिसकी जैसी दुकान, वैसा मुआवजा
निबंधन विभाग ने तय किया है कि जिसकी जैसी दुकान होगी, उसे वैसा ही मुआवजा राशि मिलेगी। मान लीजिये, किसी परिवार का मकान या दुकान 50 साल पहले बना हुआ है तो उसे नए मकान के रेट पर मुआवजा बिल्कुल नहीं मिलेगा उसे उसकी मालियत के हिसाब से राशि बांटी जाएगी। बाउंड्रीवाल, टीनशेड, आरसीसी अथवा गाटर-पटिया वाले मकान या दुकान का अलग-अलग मूल्य निर्धारण किया जाएगा। इसको लेकर प्रशासन और निबंधन विभाग माथापच्ची कर रहा है।
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चौड़ाई बढ़ते ही लागत राशि भी बढ़ी
चूंकि अब सेतु निगम को गजिया फ्लाईओवर का बचा हुआ काम संशोधित हुए डिजाइन के आधार पर किया जाएगा। चौड़ाई भी बढ़ाई गई है। इसलिए लागत राशि अब 27.89 करोड़ से बढ़कर और ज्यादा होगी। हालांकि लागत का आंकलन किया जा रहा है, मूल्य निर्धारण के बाद नई डिमांड भी शासन को भेज दी जाएगी ताकि बचा हुआ काम पूरा हो जाए और शहर फिर से फर्राटा भरता हुआ दिखाई पड़े। अभी रेलवे अपने हिस्से का काम कर रहा है, लेकिन सेतु निगम का बंद है।