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264 अपात्र हजम कर गए आवास के 1.05 करोड़

गरीबों को आशियाना उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा संचालित अति महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना धांधली की भेंट चढ़ गई। वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-1

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 11:45 PM (IST)
264 अपात्र हजम कर गए आवास के 1.05 करोड़
264 अपात्र हजम कर गए आवास के 1.05 करोड़

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : गरीबों को आशियाना उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा संचालित अति महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना धांधली की भेंट चढ़ गई। वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में 264 अपात्रों ने आवास का एक करोड़ पांच लाख रुपये हजम कर गए हैं। नोटिस पर नोटिस जारी होती रहीं लेकिन अपात्रों ने धनराशी वापस नहीं की। अब उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी चल रही है। इसके साथ ही जिलाधिकारी के माध्यम से राजस्व की भांति वसूली करने के लिए रिकवरी प्रमाण पत्र तहसीलों में भेज दिया जाएगा।

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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में पांच हजार नौ सौ 81 और वित्तीय वर्ष 2017-18 में चार हजार पांच सौ 60 आवासों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें चयनित लाभार्थियों को प्रति आवास के निर्माण के लिए एक लाख 20 हजार रुपये उपलब्ध कराया जाता है। शुरूआती दौर में प्रधानों और सचिवों के तालमेल से गाइड लाइन को ताक पर रखकर अपात्रों को आवास आवंटित कर दिया गया। प्रधानमंत्री आवास को अपात्रों में आवंटित करने की आए दिन मिल रही शिकायत को तत्कालीन जिलाधिकारी विशाख जी ने गंभीरता से लिया था। आवासों का सत्यापन में पाया गया कि जिले में 378 अपात्रों को आवास आवंटित कर दिया गया था। इसमें से अधिसंख्य अपात्रों के खाते में पहली किश्त भेज भी दी गई थी। खास बात तो यह रहा कि अपात्रों ने आवास का धनराशि निकाल भी लिया था। अधिकारियों की ओर से बार-बार नोटिस जारी करने के पश्चात 114 अपात्रों ने सरकारी धन को वापस कर दिया जबकि 264 अपात्रों ने अभी तक गड़प की गई धनराशि वापस नहीं की। उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। वित्तीय वर्ष में ही हो जानी चाहिए वसूली

जिस वित्तीय वर्ष में धनराशि हजम किया गया है उसी वित्तीय वर्ष में वसूली हो जानी चाहिए। कारण यह है कि रिकवरी की गई धनराशि को फिर केंद्र को वापस करना टेढ़ी खीर साबित होता है। आदेश और स्वीकृति कराने में अधिकारियों के तलवे घिस जाते हैं। अधिकारियों की लापरवाही के चलते दो वित्तीय वर्ष बीत गए लेकिन अभी तक अपात्रों से वसूली नहीं कराई जा सकी है। ''सौ अपात्रों से वसूली कर किसी तरह केंद्र सरकार को वापस किया गया। उसके लिए उच्चाधिकारियों से आदेश लेना पड़ा था। अभी तक दो सौ 64 अपात्रों से वूसली की कार्रवाई नहीं हो सकी है। प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। इसके साथ ही धनराशि की रिकवरी कराने के लिए तहसीलों में आरसी भेजी जाएगी।''

- मनोज कुमार राय, परियोजना निदेशक।


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