लापरवाही पी गई 13 पेयजल परियोजनाएं
करोड़ों रुपये खर्च हुए गांवों को पानी पिलाने में लेकिन धरातल में हो गया बंदरबाट। ग्राम समूह पेयजल योजना के तहत जिले के 32 गांवों में स्थापित पेयजल परियोजनाओं में से 13 गांवों में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन का चैप्टर क्लोज है। पेयजल परियोजनाओं के ठप पड़े होने से तीन हजार से अधिक लोग कनेक्शन कटवा चुके हैं।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : करोड़ों रुपये खर्च हुए गांवों को पानी पिलाने में, लेकिन धरातल में हो गया बंदरबाट। ग्राम समूह पेयजल योजना के तहत जिले के 32 गांवों में स्थापित पेयजल परियोजनाओं में से 13 गांवों में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन का चैप्टर क्लोज है। तीन हजार से अधिक लोग कनेक्शन कटवा चुके हैं। बदहाली से जो कनेक्शनधारी हैं भी उनके समक्ष भी पेयजल संकट गहराता दिख रहा है। इसके पीछे विभाग भले ही यह तर्क दे रहा हो कि सड़कों के निर्माण से लेकर अन्य कार्यों के दौरान पाइप लाइनें क्षतिग्रस्त हो गईं और नलकूप खराबी दूर करने को पर्याप्त बजट न मिलने के समस्या आ रही है लेकिन इन परियोजनाओं को बर्बाद करने में विभागीय लापरवाही कम जिम्मेदार नहीं है।
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बंदरबाट से बर्बादी की ओर बढ़ी परियोजनाएं
- ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को पेयजल सुविधा के लिए 35 से 50 वर्ष पहले स्थापित परियोजनाओं की मरम्मत व देख-रेख के नाम पर प्रति वर्ष करोड़ों रुपये जारी होते रहे। जबकि स्थिति यह रही कि जारी धन को परियोजनाओं के सुधार पर लगाने के बजाय बंदरबांट होता रहा। करीब दस हजार कनेक्शनधारकों में तीन हजार से अधिक कनेक्शन कटवा चुके हैं। मौजूदा समय में भी 32 में से संचालित कुल 17 परियोजनाओं से भी आंशिक जलापूर्ति ही हो पा रही है।
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दो करोड़ खर्च, 13 लाख की वसूली
- संचालित कुल 17 परियोजनाओं से जुड़े कनेक्शनधारकों से जलकर के रूप में की गई जलकर की वसूली भी काफी चौंकाने वाली है। 3925 कनेक्शनधारकों गत वित्तीय वर्ष में कुल 13 लाख चार सौ 47 रुपये की वसूली होना विभागीय आंकड़े में दर्ज है। अब यदि इन परियोजनाओं के संचालन पर खर्च देखा जाय तो सभी पर मिलाकर लगभग 50 कर्मचारियों के वेतन मात्र पर प्रति वर्ष दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो जा रहा है।
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गर्मी में पेयजल की बढ़ी दिक्कत
- कई माह से ठप पड़े समूह पेयजल योजना सोनैचा से जुड़े रमाशंकर व शनि कुमार ने कहा कि जलापूर्ति न होने से इस गर्मी के मौसम में पेयजल संकट खड़ा हो चुका है। जिनके पास हैंडपंप व अन्य सुविधा है वह तो पानी का जुगाड़ कर ले रहे हैं लेकिन तमाम लोगों को दूर-दूराज स्थित हैंडपंपों से पानी लाने को विवश हैं। पेयजल टंकी लोगों के लिए छलावा ही बनी है।
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- कई परियोजनाओं से जलापूर्ति के लिए बिछाई गई पाइप लाइनें जगह-जगह ध्वस्त हो चुकी हैं। साथ ही अन्य तकनीकी खराबी है। परियोजनाओं के मेंटनेंश के लिए शासन स्तर से बजट नहीं जारी हो रहा है। इससे उन्हें संचालित करने में दिक्कत आ रही है। --- कमला शंकर, सहायक अभियंता, यूपी जल निगम