बीस वर्ष बाद लौटी मुंडेरवा की रौनक
आज से चलेगी वर्ष1998 में बंद हुई चीनी मिल
बस्ती: बीस वर्ष बाद मुंडेरवा चीनी मिल सोमवार से चलने जा रही है। मिल चलने के साथ ही एक बार फिर कस्बे की रौनक लौटने लगी है। किसानों और कस्बे के दुकानदारों के चेहरे खिल गए हैं। इन बीस वर्षों में मुंडेरवा चीनी मिल के श्रमिकों, किसानों व दुकानदारों ने तमाम-उतार चढ़ाव देखे। किसान आंदोलन के दौरान 2002 में तीन किसानों की पुलिस की गोली से मौत हो गई थी।
लगातार घाटा के चलते इस चीनी मिल को प्रबंध तंत्र ने अत्याधुनिक प्लांट लगाने के नाम पर 1995 में 44 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। इस पर अमल होने से पहले ही 1998 में मिल को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। देखते ही देखते 300 से अधिक श्रमिकों व 10 हजार से अधिक किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। वर्ष 1917 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल चलवाने की न सिर्फ घोषणा की बल्कि काम भी शुरू करा दिया। वर्ष भीतर चलने तैयार है। 375 करोड़ की लागत की 50हजार क्विटल प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता की इस अत्याधुनिक मिल का ट्रायल हो चुका है।
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यह किसान हुए थे शहीद
वर्ष 2002 के भाकियू के किसान आंदोलन में पुलिस की गोली से जिन तीन किसानों की मौत हुई थी उनमें जगदीशपुर के बद्री प्रसाद चौधरी, मंगेरा संतकबीर नगर के तिलक राज, और मेहड़ापुरवा के धर्मराज उर्फ जुगानी शामिल हैं।
मिल बंद होने से उजाड़ हो चुके मुंडेरवा बाजार के व्यवसायियों व क्षेत्र के किसानों में काफी प्रसन्नता है। किसान रामनरेश, सुरेश कुमार का कहना है कि मिल न चलने से यहां गन्ने आधा हो गया था। दुकानदार रामगणेश, रामनिवास, दिनेश का कहना है कि जब किसानों और मिल के लोगों की आमद होगी तो व्यवसाय में भी इजाफा होगा।