तीन सदस्यीय कमेटी करेगी प्रसूता प्रकरण की जांच
मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है। टीम में सीएमओ डा. जेपी त्रिपाठी तहसीलदार सदर पवन जायसवाल व कोतवाली थाने का एक पुलिस कर्मी शामिल है।
बस्ती : महिला अस्पताल के बजाए एक निजी नर्सिंग होम में गर्भवती का आपरेशन से प्रसव कराए जाने के बाद नवजात की मौत का मामला तूल पकड़ लिया है। मामले को जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने गंभीरता से लिया है। प्रकरण की जांच के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.जेपी त्रिपाठी ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है।
मामला बीते रविवार का है। तिरैला गरीब थाना सोनहा निवासिनी सजरून्निशा को प्रसव पीड़ा होने पर पति निजामुद्दीन सीएचसी भानपुर ले गए। यहां चिकित्सक व स्टाफ ने आपरेशन से प्रसव की बात कही। बाद में उसे महिला अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन ने बताया कि सीएचसी पर मौजूद आशा कार्यकर्ता ने बड़ेवन स्थित न्यू आलोक हास्पिटल ले जाने को कहा। विश्वास दिलाया कि उसकी पर्ची देने पर पूरी सहूलियत मिलेगी। महिला अस्पताल में इस समय कुछ नहीं हो पायेगा। 108 एंबुलेंस से महिला को बस्ती के महिला अस्पताल के लिए भेजा गया। बड़े वन पहुंचने पर एंबुलेंस चालक ने गर्भवती महिला को उतार दिया। महिला को पति लेकर न्यू आलोक हास्पिटल में गया। आपरेशन से जन्मे बच्चे की मौत हो गई। इलाज के 20 हजार रुपये मांगे गए। एक हजार रुपये की उसके पास थे। महिला के पति निजामुद्दीन ने मौका मांगा लेकिन हास्पिटल संचालक ने मृत बच्चे को देने से मना कर दिया। जिलाधिकारी से शिकायत पर जांच को सदर तहसीलदार पवन जायसवाल को भेजा गया। प्रसूता को बंधक से मुक्त कराते हुए प्रशासन ने उसे महिला अस्पताल में भर्ती कराया।
मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है। टीम में सीएमओ डा. जेपी त्रिपाठी, तहसीलदार सदर पवन जायसवाल व कोतवाली थाने का एक पुलिस कर्मी शामिल है। सीएमओ ने बताया कि बुधवार को जांच रिपोर्ट देनी है। जिलाधिकारी ने सीएमएस महिला को चेताया है, अब लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्रवाई होगी। वहीं सीएमएस महिला अस्पताल गार्डों से अस्पताल में आने वाली आशा कार्यकर्ताओं की सूची तैयार करा रहे हैं।