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वाचाल होने से संस्कृति का मौन भंग होता है

हमें भविष्य को ध्यान में रखते हुए चुप रहना जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 10:08 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 06:02 AM (IST)
वाचाल होने से संस्कृति का मौन भंग होता है
वाचाल होने से संस्कृति का मौन भंग होता है

बस्ती : राजकीय महाविद्यालय रुधौली में बुधवार को आनलाइन एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना के तहत इतिहास विभाग द्वारा भारतीय संस्कृति का अनुशीलन, वर्तमान प्रासंगिकता विषय पर सेमीनार का आयोजन किया गया। महाविद्यालय प्राचार्य डा. राजेश कुमार शर्मा ने स्मृति चिह्न देकर मुख्य अतिथि को सम्मानित किया।

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मुख्य वक्ता पं. दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डा. अनंत मिश्र ने कहा कि यह चुनौती का समय है, वाचाल होने से संस्कृति का मौन भंग होता है। काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय ज्ञानपुर, भदोही के प्राचार्य डा. प्रदीप नारायण डोंगरे ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति के अनुशीलन की आवश्यकता है। डा. आशुतोष शरन, डा. सौम्यसेन गुप्त, डा. विद्याधर मिश्र, डा. तोषी, डा. अंजलिका निगम ने भी संबोधित किया। डा. सौम्य सेन ने आभार व्यक्त किया। संचालन डा. शैलजा ने किया। तकनीकी सहयोग डा. एसके श्रीवास्तव ने दिया।


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