जोखिम में रहती विद्युत कर्मियों की जान
क्षेत्र के 125 गांव को विद्युत आपूíत करने वाला बहादुरपुर का 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र बदहाली के दौर से गुजर रहा है। यहां न केवल सुविधाओं का अभाव है, बल्कि दूसरों को उजाला देने वाला यह उपकेंद्र आपूíत बंद होने पर अंधेरे में डूब जाता है। यहां के कर्मचारी जान जोखिम में डालकर उपकेंद्र चला रहे हैं। प्रतापपुर में स्थित इस उपकेंद्र का एसी पैन पांच वर्ष से जला है।
बस्ती : क्षेत्र के 125 गांव को विद्युत आपूíत करने वाला बहादुरपुर का 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र बदहाली के दौर से गुजर रहा है। यहां न केवल सुविधाओं का अभाव है, बल्कि दूसरों को उजाला देने वाला यह उपकेंद्र आपूíत बंद होने पर अंधेरे में डूब जाता है। यहां के कर्मचारी जान जोखिम में डालकर उपकेंद्र चला रहे हैं। प्रतापपुर में स्थित इस उपकेंद्र का एसी पैन पांच वर्ष से जला है। बैटरी तथा ट्रांसफार्मर से बिना एसी पैनल के सीधे मशीनों को सप्लाई दी जा रही है । 33 केवी के सप्लाई को ब्रेक डाउन करने के लिए लगी मशीन आज तक चालू नहीं हो पाई है। जिस वजह से 33 केवीए के ट्रांसफार्मर की खराबी को दूर करने के लिए नगर फीडर बंद कराना पड़ता है। फीडरों को होल्ड कराने के लिए लगी बैटरी का चार्ज वर्ष भर से खराब पड़ा है । लाइट, पंखा व स्विच बोर्ड सब खराब पडे हैं । उपकेंद्र में चारों तरफ घास उगी है। रात में सांप एवं अन्य विषैले जीव-जन्तुओं का डर बना रहता है। इन्वर्टर की व्यवस्था न होने से आपूíत बंद होते ही उपकेंद्र में अंधेरा छा जाता है। आपरेटर को सेफ्टी जूते, टार्च, दस्ताना यहां तक कि विद्युत पोल पर चढ़ने के लिए सीढ़ी तक नहीं दी गई है। एसएसओ ने बताया कि रात में मोबाईल के टार्च के सहारे कार्य करना पड़ता है।
अवर अभियंता अशोक पाल ने बताया है कि कुछ कमियां हैं जिन्हे शीघ्र ही दुरुस्त करा दिया जाएगा।